संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई
भारत की संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई थी. इस बैठक में भारत के संविधान को अपनाया गया था और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया था. इस बैठक में संविधान सभा ने भारत के संविधान को लागू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में भारत को एक गणतंत्र घोषित किया गया था और भारत के संविधान को लागू करने की तिथि 26 जनवरी, 1950 तय की गई थी.
संविधान सभा की कितनी बैठकें हुई थी?
भारत की संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुई थीं. पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी और अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई थी. संविधान सभा की पहली बैठक में भारत के संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव पारित किया गया था. संविधान सभा की 11वीं और अंतिम बैठक में भारत के संविधान को अपनाया गया था और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया था.
संविधान सभा की अंतिम बैठक के अध्यक्ष कौन थे?
संविधान सभा की अंतिम बैठक के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे. वे भारत के पहले राष्ट्रपति भी थे. वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और एक कुशल राजनेता थे. उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
संविधान सभा की पहली महिला कौन थी?
ऐसा किसी भी दस्तावेज़ मे विवरण नहीं मिलता हैं जिससे यह पता चले की संविधान सभा मे पहली महिला कौन थी, लेकिन यह विवरण जरूर मिलता हैं की संविधान सभा मे कुल 15 महिलाओं को चयनित किया गया था। संविधान निर्माण के प्रक्रिया मे इन सभी 15 महिलाओ का बराबर योगदान हैं।
संविधान पर हस्ताक्षर करने वाला अंतिम व्यक्ति कौन था?
संविधान पर हस्ताक्षर करने वाला अंतिम व्यक्ति फिरोज गांधी थे, जो भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के दामाद यानि की इन्दिरा गांधी के पति थे. वे एक कांग्रेस नेता थे और संविधान सभा के सदस्य थे. उन्होंने संविधान के प्रारूपण और अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे एक कुशल राजनेता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे.
विश्व का पहला संविधान किसने लिखा था
विश्व का पहला संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान था, जिसे 1787 में फिलाडेल्फिया में लिखा गया था. यह संविधान एक लिखित संविधान है, जिसका अर्थ है कि यह एक दस्तावेज है जिसमें सरकार के ढांचे और कार्यों का वर्णन किया गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान दुनिया के सबसे पुराने और सबसे प्रभावशाली संविधानों में से एक है. इसने दुनिया भर के कई देशों को अपने संविधानों को लिखने में प्रेरित किया है.
किन देशो मे अलिखित संविधान हैं
दुनिया भर में कई देश हैं जिनके अलिखित संविधान हैं. कुछ सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में शामिल हैं:
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- न्यूजीलैंड
- भारत
- इज़राइल
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात
- कतर
- ओमान
इन देशों के संविधानों को लिखित दस्तावेजों में संहिताबद्ध नहीं किया गया है. बल्कि, वे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ऐतिहासिक कानून
- परंपराएं
- रूढ़ियां
- न्यायिक निर्णय
अलिखित संविधानों का एक फायदा यह है कि वे अधिक लचीले होते हैं और समय के साथ बदलावों के लिए अनुकूल होते हैं. हालांकि, उनका एक नुकसान यह भी है कि वे अधिक अस्पष्ट हो सकते हैं और उनका अर्थ निकालना मुश्किल हो सकता है.
संविधान सभा में कितनी महिलाएं हैं?
भारतीय संविधान सभा में 15 महिलाएं थीं. वे थीं:
- सरोजनी नायडू
- विजयलक्ष्मी पंडित
- अम्मू स्वामीनाथन
- दुर्गाबाई देशमुख
- उषा मेहता
- राधिका देवी
- शान्ति देवी
- सुशीला नायर
- राजकुमारी अमृत कौर
- लक्ष्मी सहगल
- राधिका राय
- शारदा मुखर्जी
- विद्यावती मुखर्जी
- मीरा बेन
इन महिलाओं ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए थे.
किस देश का संविधान सबसे नया है
विश्व का सबसे नया संविधान दक्षिण सूडान का है. दक्षिण सूडान एक स्वतंत्र देश है जो 9 जुलाई, 2011 को सूडान से अलग हुआ था. दक्षिण सूडान के संविधान को 7 जुलाई, 2011 को अपनाया गया था और यह 9 जुलाई, 2011 को लागू हुआ था. दक्षिण सूडान का संविधान एक लिखित संविधान है और यह 215 अनुच्छेदों का है. दक्षिण सूडान का संविधान एक लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में है. यह संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों और स्वतंत्रताओं का प्रावधान करता है.
किन देशो मे संविधान नहीं हैं
दुनिया भर में कई देश हैं जिनके संविधान नहीं हैं. इनमें शामिल हैं:
- सऊदी अरब
- ओमान
- कतर
- संयुक्त अरब अमीरात
- कुवैत
- ईरान
- सूडान
- यमन
- लीबिया
- सीरिया
इन देशों में संविधान नहीं होने के कई कारण हैं. कुछ देशों में, संविधान को एक अनावश्यक दस्तावेज माना जाता है. अन्य देशों में, संविधान को एक विभाजनकारी दस्तावेज माना जाता है. कुछ देशों में, संविधान को एक कमजोर दस्तावेज माना जाता है.
संविधान न होने के कई नुकसान हैं. इनमें शामिल हैं:
- सरकार के ढांचे और कार्यों की स्पष्टता की कमी
- नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सुरक्षा की कमी
- सरकार की जवाबदेही की कमी
- कानूनी प्रणाली की अस्थिरता
- राजनीतिक अस्थिरता
संविधान न होने वाले देशों के लिए एक संविधान बनाना महत्वपूर्ण है. संविधान एक दस्तावेज है जो सरकार के ढांचे और कार्यों, नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं, सरकार की जवाबदेही और कानूनी प्रणाली को स्पष्ट करता है. एक संविधान एक देश को स्थिरता और समृद्धि प्रदान कर सकता है.