विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति
विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति भारत के गुजरात राज्य में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है. यह प्रतिमा सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित है, जिन्हें भारत के “राष्ट्रपिता” कहा जाता है. प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है और यह 2018 में बनकर तैयार हुई थी. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होने का गौरव प्राप्त है.
विश्व की 10 ऊंची प्रतिमा के नाम बताओ
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है, जो भारत के गुजरात राज्य के नर्मदा नदी के तट पर स्थित है. यह प्रतिमा सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है, जिन्हें भारत के “राष्ट्रपिता” कहा जाता है. प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है और यह 2018 में बनकर तैयार हुई थी. लेकिन अब हम दुनिया के सबसे उन्हे 10 मूर्तियो के बारे मे भी जानेंगे -विश्व की 10 सबसे ऊंची प्रतिमाएं हैं:
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, भारत (182 मीटर)
- स्प्रिंग टेंपल बुद्ध, चीन (128 मीटर)
- लेक्यून सेक्येर, म्यांमार (116 मीटर)
- स्टैच्यू ऑफ बिलीफ, चीन (116 मीटर)
- उशिकु दाइबुत्सु, जापान (100 मीटर)
- सेंडाई डाइकनॉन, जापान (100 मीटर)
- गुइशान गुआनिन, चीन (108 मीटर)
- महान बुद्ध, थाईलैंड (92 मीटर)
- डाय कनॉन ऑफ किता नो मियाको पार्क, जापान (91 मीटर)
- मदर ऑफ ऑल एशिया, रूस (85 मीटर)
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे मे परिचय
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के गुजरात राज्य के नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक विशाल प्रतिमा है. यह प्रतिमा भारत के “राष्ट्रपिता” सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है. प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है और यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण 2013 में शुरू हुआ था और यह 2018 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण 3,300 टन स्टील से किया गया है और इसका वजन 20,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 2,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन और कार्यों के बारे में जानकारी दी गई है.
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के एकता और अखंडता का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
स्प्रिंग टेंपल बुद्ध के बारे मे परिचय
- स्प्रिंग टेंपल बुद्ध चीन के हेनान प्रांत के लुशान काउंटी में स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा वैरोचन बुद्ध को समर्पित है, जो महायान बौद्ध धर्म में ज्ञान और बोधि के देवता हैं. प्रतिमा की ऊंचाई 128 मीटर (420 फीट) है और यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- स्प्रिंग टेंपल बुद्ध का निर्माण 1997 में शुरू हुआ था और यह 2008 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 1,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 1,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- स्प्रिंग टेंपल बुद्ध एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- स्प्रिंग टेंपल बुद्ध शांति और समृद्धि का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
लेक्यून सेक्येर के बारे मे परिचय
- लेक्यून सेक्येर म्यांमार के सागिंग डिवीजन में स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा भगवान बुद्ध को समर्पित है और यह 116 मीटर (381 फीट) ऊंची है. यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- लेक्यून सेक्येर का निर्माण 1996 में शुरू हुआ था और यह 2008 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 6,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 6,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- लेक्यून सेक्येर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- लेक्यून सेक्येर शांति और समृद्धि का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
स्टैच्यू ऑफ बिलीफ के बारे मे परिचय
- स्टैच्यू ऑफ बिलीफ चीन के गुआंगडोंग प्रांत में स्थित एक विशाल शिव प्रतिमा है. यह प्रतिमा 116 मीटर (381 फीट) ऊंची है और दुनिया की चौथी सबसे ऊंची प्रतिमा है. यह प्रतिमा 2018 में बनकर तैयार हुई थी और इसका निर्माण चीन के फांगशुई सिद्धांत के आधार पर किया गया था.
- स्टैच्यू ऑफ बिलीफ को चीन के लोगों द्वारा आशा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
- स्टैच्यू ऑफ बिलीफ को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. यह प्रतिमा चीन के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
उशिकु दाइबुत्सु के बारे मे परिचय
- उशिकु दाइबुत्सु जापान के इबाराकी प्रांत में स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा अमिताभ बुद्ध को समर्पित है और यह 100 मीटर (330 फीट) ऊंची है. यह दुनिया की पाँचवीं सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- उशिकु दाइबुत्सु का निर्माण 1988 में शुरू हुआ था और यह 1995 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 4,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 4,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- उशिकु दाइबुत्सु एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- उशिकु दाइबुत्सु शांति और समृद्धि का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
सेंडाई डाइकनॉन के बारे मे परिचय
- सेंडाई डाइकनॉन जापान के सेंडाई शहर में स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा महायान बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी, अवलोकितेश्वर को समर्पित है और यह 100 मीटर (330 फीट) ऊंची है. यह दुनिया की छठी सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- सेंडाई डाइकनॉन का निर्माण 1991 में शुरू हुआ था और यह 1995 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 4,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 4,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- सेंडाई डाइकनॉन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- सेंडाई डाइकनॉन शांति और समृद्धि का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
- यह प्रतिमा 1995 में एक भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन बाद में इसे मरम्मत कर लिया गया था.
गुइशान गुआनिन के बारे मे परिचय
- गुइशान गुआनिन, जिसे गुइशान बोधिसत्व भी कहा जाता है, चीन के गुआंगडोंग प्रांत में गुइशान पर्वत पर स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा 108 मीटर (354 फीट) ऊंची है और दुनिया की सातवीं सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- गुइशान गुआनिन का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था और यह 2009 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 8,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 8,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- गुइशान गुआनिन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- गुइशान गुआनिन शांति और समृद्धि का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ाने का काम करती है.
- प्रतिमा का निर्माण गुइशान पर्वत पर किया गया है, जो एक पवित्र बौद्ध स्थल है. पर्वत पर कई अन्य मंदिर और मठ भी हैं.
- गुइशान गुआनिन एक सफेद रंग की प्रतिमा है, जो बुद्ध की शांति और करुणा का प्रतीक है. प्रतिमा के हाथों में एक कमल का फूल और एक माला है.
- प्रतिमा का निर्माण एक विशाल आधार पर किया गया है, जो एक मंदिर जैसा दिखता है. मंदिर के अंदर एक बुद्ध मंदिर है, जिसमें बुद्ध की एक प्रतिमा है.
- गुइशान गुआनिन एक अद्भुत प्रतिमा है, जो बुद्ध के शांति और करुणा का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को प्रेरित करती है और उन्हें आशा देती है.
थाईलैंड के महान बुद्ध की प्रतिमा के बारे मे
- थाईलैंड के महान बुद्ध की प्रतिमा, जिसे विष्णुकुमारी महाबुद्ध प्रतिमा के नाम से भी जाना जाता है, थाईलैंड के उडोंत में स्थित एक विशाल बुद्ध प्रतिमा है. यह प्रतिमा 92 मीटर (302 फीट) ऊंची है और दुनिया की आठवीं सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है.
- प्रतिमा का निर्माण 1990 में शुरू हुआ था और यह 1997 में पूरा हुआ था. प्रतिमा का निर्माण तांबे से किया गया है और इसका वजन 6,000 टन है. प्रतिमा के निर्माण में 6,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- प्रतिमा को थाईलैंड के राजा रतनाकोम ने बनवाया था. प्रतिमा का निर्माण थाईलैंड के एकता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में किया गया था.
- प्रतिमा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- प्रतिमा एक सफेद रंग की प्रतिमा है, जो बुद्ध की शांति और करुणा का प्रतीक है. प्रतिमा के हाथों में एक कमल का फूल और एक माला है.
- प्रतिमा का निर्माण एक विशाल आधार पर किया गया है, जो एक मंदिर जैसा दिखता है. मंदिर के अंदर एक बुद्ध मंदिर है, जिसमें बुद्ध की एक प्रतिमा है.
- महान बुद्ध की प्रतिमा एक अद्भुत प्रतिमा है, जो बुद्ध के शांति और करुणा का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को प्रेरित करती है और उन्हें आशा देती है.
मदर ऑफ ऑल एशिया की प्रतिमा के बारे
- मदर ऑफ ऑल एशिया की प्रतिमा फिलीपींस के पगकिलातन शहर में स्थित एक विशाल मूर्ति है. यह मूर्ति 85 मीटर (279 फीट) ऊंची है और यह दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची मूर्ति है.
- मूर्ति का निर्माण 1966 में शुरू हुआ था और यह 1969 में पूरा हुआ था. मूर्ति का निर्माण कंक्रीट और स्टील से किया गया है और इसका वजन 6,000 टन है. मूर्ति के निर्माण में 6,000 से अधिक श्रमिकों ने काम किया था.
- प्रतिमा को फिलीपींस के राष्ट्रपति डायोसदाडो माकापगल-अरोय ने बनवाया था. प्रतिमा को फिलीपींस के लोगों के लिए आशा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है.
- प्रतिमा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतिमा को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. प्रतिमा के पास एक संग्रहालय भी है, जिसमें रोमन कैथोलिक धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई है.
- प्रतिमा एक सफेद रंग की प्रतिमा है, जो माँ की शांति और करुणा का प्रतीक है. प्रतिमा के हाथों में एक बच्चा है.
- प्रतिमा का निर्माण एक विशाल आधार पर किया गया है, जो एक मंदिर जैसा दिखता है. मंदिर के अंदर एक चर्च है, जिसमें एक रोमन कैथोलिक चर्च है.
- मदर ऑफ ऑल एशिया की प्रतिमा एक अद्भुत प्रतिमा है, जो माँ के शांति और करुणा का प्रतीक है. यह प्रतिमा लोगों को प्रेरित करती है और उन्हें आशा देती है.
ऊंची स्टेचू बनवाने से देश को किस तरह से लाभ होता हैं
- ऊंची प्रतिमाएं देश को कई तरह से लाभ पहुंचा सकती हैं. वे देश के इतिहास और संस्कृति को बढ़ावा दे सकती हैं, पर्यटन को बढ़ावा दे सकती हैं और देश के लोगों को एकजुट कर सकती हैं.
- देश के इतिहास और संस्कृति को बढ़ावा देना: ऊंची प्रतिमाएं देश के इतिहास और संस्कृति को बढ़ावा दे सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के महान लोगों और घटनाओं के बारे में जानने में मदद कर सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के गौरव और समृद्धि के बारे में भी जागरूक कर सकती हैं.
पर्यटन को बढ़ावा देना: ऊंची प्रतिमाएं पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकती हैं. वे लोगों को अपने देश का दौरा करने के लिए आकर्षित कर सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी प्रदान कर सकती हैं.
देश के लोगों को एकजुट करना: ऊंची प्रतिमाएं देश के लोगों को भी एकजुट कर सकती हैं. वे लोगों को एक common goal के लिए एकजुट कर सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के गौरव और समृद्धि के बारे में भी जागरूक कर सकती हैं. - उदाहरण के लिए, भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है. सरदार पटेल को भारत के “राष्ट्रपिता” कहा जाता है. उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी लोगों को सरदार पटेल के बारे में जानने और उन्हें सम्मान करने का अवसर प्रदान करती है. यह लोगों को एकजुट करने और देश के गौरव को बढ़ावा देने में भी मदद करती है.
- इसके अतिरिक्त, ऊंची प्रतिमाएं देश के लोगों को प्रेरित भी कर सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के लिए कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं. वे लोगों को अपने देश के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने और उसे बढ़ावा देने के लिए भी प्रेरित कर सकती हैं.
- कुल मिलाकर, ऊंची प्रतिमाएं देश को कई तरह से लाभ पहुंचा सकती हैं. वे देश के इतिहास और संस्कृति को बढ़ावा दे सकती हैं, पर्यटन को बढ़ावा दे सकती हैं और देश के लोगों को एकजुट कर सकती हैं.
स्टेचू ऑफ यूनिटी को बनवाने का श्रेय किसे जाता हैं
स्टेचू ऑफ यूनिटी को बनवाने का श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. उन्होंने 2013 में इस प्रतिमा के निर्माण की घोषणा की थी और यह 2018 में बनकर तैयार हो गई थी. यह प्रतिमा सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित है, जिन्हें भारत के “राष्ट्रपिता” कहा जाता है. प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है और यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.