भारतीय रूपय का इतिहास , history of indian currency, bhartiya rupay ka itihas

सामान्य ज्ञान : भारत के रूपय का इतिहास | History of Indian Currency

रूपय का परिचय

History of Indian Currency : वर्तमान में अभी दो तरह की मुद्राओं का प्रचलन है, एक तो सिक्कों का और दूसरा कागज के बने रूपाय का हैं। छोटी रकम को सिक्कों के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि बड़े रकम को कागज के बने नोट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन जब भारत में अंग्रेजों का शासन था, उस समय कागज के रूप में मुद्रा का इस्तेमाल नहीं होता था। बल्कि सिक्कों के रूप में ही सभी प्रकार की लेने देने की जाती थी। इसके अलावा सिक्के के रूप में भारतीय मुद्रा एक समान नहीं थी। भारत में ही एक मुद्रा एक स्थान पर मान्य थी तो दूसरे स्थान पर वह मान्य नहीं थी। उदाहरण के लिए हैदराबाद के निजाम अपने क्षेत्र में अलग सिक्के को चलाते थे और इसी प्रकार सिखों की रियाशत मे अलग प्रकार के सिक्कों का प्रचलन था।

रुपए का इस्तेमाल कब से किया जा रहा है

कागज के जिन मुद्राओं को आज हम रुपए कहते हैं, इसकी जगह शेरशाह सूरी के समय में चांदी के सिक्कों का प्रचलन था और इन्हीं सिक्कों को रुपए कहा जाता था। रुपए शब्द का इस्तेमाल शेरशाह सूरी के समय में किया गया था। शेरशाह सूरी के शासन काल का समय 1540 से 1545 तक था। शेरशाह सूरी ने चांदी के रुपयों को जारी किया था, जिन का वजन 178 ग्रेन हुआ करता था। चांदी के सिक्कों के साथ ही सोने के सिक्कों को भी जारी किया गया था, लेकिन चांदी के सिक्के को रुपए कहां जाता था, जबकि सोने के सिक्के को मुहर कहा जाता था।

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19वीं शताब्दी में भारत में जो मुद्रा चलती थी, उसमें सिक्कों की सबसे छोटी इकाई को पाई कहा जाता था। तीन पाई का एक पैसा बनता था। चार पैसे का एक आना बनता था और 16 आने का ₹1 रूपय बनता था। इस प्रकार एक रुपए 192 पाई के बराबर होता था।

धातुओं की बढ़ती हुई कीमतों की वजह से 1942 में तांबे का इस्तेमाल करके पाई को बनाने का काम बंद कर दिया गया, लेकिन आजादी मिलने के बाद फिर से पाई को भारत के मुद्रा में शामिल करने पर विचार हुआ, लेकिन उस समय के वित्त सचिव केजी अंबेगांवकर ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

भारत के सिस्टम में मुद्राओं की स्थिति

भारतीय गणतंत्र का पहला सिक्का आना था। भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, लेकिन आजाद भारत का पहला आना 15 अगस्त 1950 को जारी हुआ था। यह स्वतंत्र भारत का पहला सिक्का था, इस सिक्के में आजादी के पहले इंग्लैंड के राजा का चित्र होता था जिसे हटाकर अब एक आने के सिक्के मे अशोक स्तंभ की आकृति उकेरी गई थी। भारतीय मुद्रा प्रणाली में सोलह आने का ₹1 होता था, एक रुपए के सिक्के पर मक्के की फलियों की आकृति को उकेरा गया था।

भारत में 1955 में भारतीय सिक्का ढलाई अधिनियम जैसे कानून को संशोधित किया गया और देश में सिक्का निर्माण के लिए मेट्रिक प्रणाली को स्वीकार लिया गया। यह कानून 1957 को लागू किया गया, जिसके बाद एक रुपए को 100 पैसे के बराबर माना गया।

1 जून 1964 तक इसे नए पैसे के नाम से जाना जाता था, लेकिन धीरे-धीरे नया शब्द को भारतीय मुद्रा प्रणाली से हटा दिया गया। धातुओं की मूल्य में वृद्धि होने के कारण आगे चलकर भारत में सिक्के बनाने के लिए सिर्फ एलुमिनियम का इस्तेमाल किया जाने लगा। 1968 में 20 पैसे का सिक्का भी जारी किया गया, लेकिन यह सिक्का ज्यादा प्रचलन में नहीं आया और सिक्कों को बनाने के लिए लागत मूल्य बढ़ने के कारण 70 के दशक में एक, दो और तीन पैसे के सिक्कों को बंद कर दिया गया।

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5 रूपय के सिक्के पहली बार कब बनाए गए थे?

1988 में 10, 25 और 50 पैसे के सिक्के जारी किए गए थे। 1990 के दशक में एक, दो और ₹5 रूपय के नए सिक्कों को प्रचलन में लाया गया। 1990 के पहले एक, दो और ₹5 के सिक्के नहीं बनाए जाते थे।

कागज की मुद्रा का विकास कब हुआ था?

भारत में कागज के बने नोट करें अस्तित्व का श्रेय सर जेम्स विल्सन को जाता है। सर जेम्स विल्सन भारत सरकार में वायसराय की कार्यपालिका परिषद के पहले वित्त सदस्य थे। भारत सरकार ने पहली बार 1944 को ₹1 का नोट जारी किया था।

महात्मा गांधी कब नोटों में आए

देश आजाद होने के बाद जब नोटों को छापने के लिए गुलामी के प्रतीकों को हटाया जा रहा था, उस समय नोटों में इंग्लैंड के राजा का चित्र होता था। जिसे हटाकर महात्मा गांधी के चित्र को लगाए जाने की बात हुई, लेकिन अंतिम विश्लेषण के समय गांधी जी के चित्र के स्थान पर सारनाथ के सिंह की आकृति पर सभी की आम राय बन गई। इस तरह शुरुआती रुपए में महात्मा गांधी की जगह सारनाथ के शेरों की आकृति प्रिंट होकर आती थी। 1969 महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी मनाई जा रही थी उसी समय विशेष नोटों को छापा गया, उसमें महात्मा गांधी के चित्र को अंकित किया गया। 1987 में ₹500 की नोट जारी की गई इसमें भी महात्मा गांधी के चित्र को छापा गया था। इसके बाद 1996 में महात्मा गांधी की तस्वीरों को लगातार नोटों में अंकित किया जाने लगा।

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लेकिन 1996 के बाद से ही महात्मा गांधी की फोटो वाली करेंसी चरण में आई और इसके बाद महात्मा गांधी की तस्वीर ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹500 और ₹1000 के नोटों में आने लगे। वर्तमान में जो महात्मा गांधी की तस्वीर नोटों पर प्रिंट होकर आती है, वह तस्वीर 1946 में राष्ट्रपति भवन में खींची गई थी।

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