मुगल राजा अकबर हमेशा अपने मंत्रियो की परीक्षा लेता रहता था ताकि समय आने पर उसे पता रहे की कौन सा मंत्री किस कार्य मे ज्यादा कुसल है एवं किसका दिमाग कितना तेज है यह उसकी हमेशा से आदत रही है । अकबर ने एक दिन अपने सभी मंत्रियो से कहता है की चलो आप सब मेरे एक सवाल का जवाब।
दो मंत्रियो ने कहा – “जी हुजूर पूछीए?”
अकबर बोला ये बताओ , “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, उन सब मे मै भी रहू तब आप लोग सबसे पहले किसकी आग बुझाएगे ?”
“हुजूर की दाड़ी की आग “ इस प्रश्न को सुन कर सभी मंत्रोयों ने एक स्वर मे उत्तर दिया ।
परन्तु बीरबल ने कुछ नहीं कहा – तब बादशाह बीरबल से बोले “बीरबल तुमने तो कुछ नहीं कहा”
बादशाह के एसा कहने पर बीरबल बोला “हुजूर, मैं तो पहले अपनी दाढी की आग बुझाने की कोशिश करुगा , बाद मे दूसरे के बारे मे सोचुंगा।“
बीरबल की यह बात सुन कर अकबर बहुत ज्यादा प्रसन्न हुआ फिर कहने लगा – “मुझे खुश करने के लिए आप लोग सच नहीं बोल रहे थे। जबकि सच यह है की कोई भी व्यक्ति पहले अपनी जान बचाता है अपने लिए सोचता है बाद मे दूसरों के बारे मे ।“