2023 में शिवरात्रि कब हैं? | mahashivratri kab hai
2023 मे महा शिवरात्रि 18 फरबरी 2023 को शनिवार के दिन हैं। महाशिव रात्री फागुन के महीने मे कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी यानि चौदस को मनाया जाता हैं। 18 फरवरी को प्रदोश भी हैं और शाम को 8:02 मिनट से चतुर्दशी प्रारम्भ होगी जो की 19 फरवरी की शाम को 04:18 मिनट तक रहेगी। इसलिए 18 फरवरी को ही शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि के पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त रात को 11:43 मिनट से लेकर 12:44 मिनट तक हैं। मात्र 50 मिनट का समय रात्रि पूजा के लिए आच्छा हैं।
महाशिवरात्रि का पूजा समय एवं मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन रात के समय एक बार या फिर चार बार पूजा की जाती है। शिवरात्रि के दिन रात में चार प्रहर होते हैं। और हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। नीचे हमने उन चारों प्रहर के समय व अवधि को दर्शाया हुआ है।
- निशिता काल की पूजा का समय – 11:53PM से 12:44AM, फरवरी 19
- रात मे पहले प्रहर का पूजा समय – 06:01PM से 09:10PM
- रात मे दूसरे प्रहर का पूजा समय – 09:10PM से 12:19AM, फरवरी 19
- रात मे तीसरे प्रहर का पूजा समय – 12:19AM से 03:27AM, फरवरी 19
- रात मे चौथे प्रहर का पूजा समय – 03:27AM से 06:36AM, फरवरी 19
चतुर्दशी का समय सारिणी
- चतुर्दशी प्रारम्भ – 18 फरवरी 2023 को 08:02PM बजे
- चतुर्दशी समाप्त – 19 फरवरी 2023 को 04:18PM बजे
शिवरात्रि के व्रत पारण का समय – 19 फरवरी 2023 को सुबह 06:36AM से दोपहर 03:10PM तक
महा शिवरात्रि का महत्व
महाशिव रात्रि का पर्व बहुत ही महत्त्वपूर्ण गया हैं। इस दिन सभी हिंदू भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिससे उन्हें भगवान शिव की कृपा मिल सकेतथा रुके हुए काम को बिना बाधा के पूरा किया जा सके। महाशिवरात्रि हर वर्ष फागुन के महीने में चतुर्दशी के दिन बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाई जाती हैं। भारत में कई स्थानों में शिवरात्रि के दिन बड़े और विशेष मेलों का आयोजन होता हैं।
महा शिवरात्रि से जुड़े उपाय और टोटके
- जिन लोगो को संतान की चाह हो, वो लोग शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक एवं पूजा के लिए दंपति को एक साथ पूजा के लिए बैठे।
- शिवरात्रि के दिन गरीबों को भोजन कराना चाहिए, ऐसा करने से कभी भी घर में किसी भी प्रकार की धन धान्य की कमी नहीं होती हैं। इसके साथ ही पितर भी प्रसन्न होते हैं।
- अगर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता हैं तो उसे शिवरात्रि के दिन पानी में काले तिल मिला कर रुद्राभिषेक करना चाहिए ऐसा करने से मन में शांति होती हैं। और मन की अशांति से मुक्ति मिल जाती हैं।
- शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बना कर भगवान शिवलिंग का 11 बार अभिषेक करने से दंपत्ति को संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
- शिवरात्रि के दिन हनुमान जी की पूजा करने से भी बहुत लाभ होता हैं, क्योंकि हनुमान जी भगवान शिव की रुद्रांश हैं इस लिए शिवरात्रि के दिन भगवान हनुमान जी का चालीसा पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय निकल जाता हैं और सभी काम बिना रुके हो जाते हैं।
- शिवरात्रि के दिन सुहागिन औरतों को सुहाग से जुड़े चीजों का दान करना अच्छा माना जाता हैं, ऐसा करने से दान देने वाले का दामाप्त्य एवं वैवाहिक जीवन सुखमय रहता हैं और वैवाहिक जीवन में कोई बाधा नहीं आती हैं।
- शिवरात्रि के दिन बेल के पेड़ के नीचे खड़े होकर खीर और पूड़ी को बाटने से घर की गरीबी दूर होती हैं। ऐसा करने से महालक्ष्मी खुश होती हैं और घर सुख सुविधाओं में वृद्धि होती हैं।
शिवरात्रि क्यो मनाई जाती हैं?
पौराणिक कहानियों के अनुसार माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन महादेव की शादी हिमालय की पुत्री माता पार्वती से हुआ था और इसलिए फागुन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन सभी लोग बड़े ही हर्ष उल्लास से शिवरात्रि को मनाते हैं। कई शिवालयों में बड़े-बड़े मेले लगाए जाते हैं तथा नदियों के किनारे भी साप्ताहिक तथा अर्ध मासिक मेले का आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा शिवरात्रि को मनाने का एक कारण यह भी है कि फागुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन देवता और राक्षसों ने समुद्र मंथन करके अमृत की खोज की थी लेकिन अमृत के पहले विष का प्याला भी निकला था जो पूरे सृष्टि को तबाह कर देता। लेकिन भगवान शिव ने उस इसको पीकर अपने कंठ में रोक लिया और समस्त सृष्टि की रक्षा की। भगवान शिव ने जब इस विष को पिया था तो उनका शरीर नीला पड़ गया था इसीलिए भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है। क्योंकि फागुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान शिव ने विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी इसीलिए प्रतिवर्ष शिवरात्रि का व्रत एवं पूजा पाठ किया जाता है।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
हमारे बहुत से बंधु शिवरात्रि और महाशिवरात्रि को लेकर संशय में रहते हैं तथा उन्हें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है उन्हें पता नहीं होता है। वास्तव में शिवरात्रि प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है लेकिन महाशिवरात्रि पूरे वर्ष में सिर्फ एक बार बनाई जाती है और वह फागुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही मनाई जाती है। तो शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में यह अंतर है कि शिवरात्रि 1 वर्ष में 12 बार मनाई जाती है जबकि महाशिवरात्रि 1 वर्ष में सिर्फ एक बार मनाई जाती है।
महाशिवरात्रि को सभी शिवरात्रि ओं का राजा माना गया है। पूरे वर्ष में दो शिवरात्रि को विशेष स्थान दिया गया है। पहला शिवरात्रि फागुन महीने की मानी गई है जिसे महाशिवरात्रि माना गया है तथा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि को माना गया है। इन दोनों शिवरात्रि में भगवान शंकर का रुद्राभिषेक कराने का बहुत बड़ा फल मिलता है।
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