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New Hindi Story – लालच का बुरा फल और 4 चोर

यह hindi story चार चोरो पर आधारित हैं। जिन्होने लालच मे आकर सबकुछ खो दिया। और मौज किसी और की हो गई। दोस्तो अगर आपको यह hindi story पसंद आती हैं तो प्लीज इसे शेयर जरूर करे।

एक नगर में चार चोर रहा करते थे। वह छोटी-मोटी चोरियां किया करते और उन्हीं से ऐसो आराम करने की कोशिश किया करते थे। लेकिन इन चोरियों से कमाए हुए पैसों से ज्यादा दिन तक वह मटरगश्ती नहीं कर पाते थे। एक दिन चारों दोस्त किसी सुनसान जगह पर बैठे हुए थे। उन लोगों ने एक लंबी चोरी करने का मन बनाया हुआ था। उनमें से एक चोर बंटी ने कहा – “यार इस बार इतना लंबा हाथ मारना है की अपनी सात पुस्ते घर बैठे ही सिर्फ खाती रहे।”

इस पर दूसरे चोर ने कहा – “अगर इतनी दूर की सोच रहे हो तो फिर इसके लिए नगर के धर्मराज सेठ के यहां चोरी करनी होगी। उसी के यहां इतने पैसे मिलेंगे जिन्हें चोरी करने के बाद हमारी सात पुस्ते घर बैठे ही खाएंगे।”

इसके बाद निर्णय हुआ की धनराज सेठ के यहां जब भी मौका मिलेगा तो वहां चोरी की जाएगी। चारों चोर एक एक करके धर्मराज सेठ के मकान की निगरानी करने लगे। एक महीने बाद उन्हें चोरी करने का एक सुनहरा अवसर मिला। धर्मराज अपने परिवार के साथ एक दिन के लिए अपने एक रिश्तेदार के बेटी की शादी में गया हुआ था। चारों चोर ने तय किया की यही सबसे अच्छा अवसर है, जब सेठ धनराज के यहां चोरी की जा सकती है। धनराज सेठ ने अपने घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने एक बहुत पुराने मुलाजिम मस्तराम काका को सौंपी थी। चारों चोर मस्तराम काका को अच्छे से जानते थे। क्योंकि वो सब एक ही गांव से थे, चारों चोरों ने स्वादिष्ट खाना लेकर मस्तराम काका के पास पहुंचे और उनके साथ ताश खेलने लगे। जब रात हो गई तो चारों चोरों ने अपने साथ लाया हुआ खाना खाना चालू कर दिया और मस्तराम को भी खिलाया। लेकिन चोरो ने मौका देख कर मस्तराम के खाने में बेहोशी की दवा मिला दी थी। जिसे खाने के बाद मस्तराम गहरी नींद में चला गया। इसके बाद चारों चोरों ने सेठ के यहां खूब सारा पैसा, हीरे और जेवरात लूटा और उसे बोरे में बांध कर जंगल की ओर भाग गए। अगले दिन जब सेठ वापस आया तो उसे चोरी के बारे में पता चला। वह नगर का बहुत बड़ा आदमी था, इसलिए जज, कलेक्टर और पुलिस से उसकी अच्छी पहचान थी। पुलिस ने दिन रात एककर के चोरों का पता लगाने का प्रयास करना प्रारंभ कर दिया। चोरों को समझ आ गया था, अब गांव वापस जाना खतरे से खाली नहीं है।

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मस्तराम ने उन चोरो की पहचान उजागर कर दी थी। पैसे लेकर अब किसी दूरदराज के नगर में जाकर रहना उचित होगा यह चोरो को समझ आ गया था। लेकिन पुलिस बहुत ही सक्रिय होकर उनकी खोज कर रही थी, इसलिए अभी जंगल से निकलना खतरनाक था। इसलिए चारों चोर जंगल में ही बसेरा लिए हुए थे और रोज पैसे को गिना करते। धीरे धीरे उनके मन मे लालच की आग और भड़कने लगी। जिसके कारण वे सभी अकेले ही सारा हिस्सा हड़पना चाहते थे।

एक दिन दो चोर जंगल से बाहर निकल कर दूसरे गांव की ओर किसी ढाबे में अच्छा खाने की इच्छा के साथ चल दिए। वहां पर पहुंचकर दोनों ने स्वादिष्ट भोजन किया, इसके बाद जंगल में रुके हुए बाकी दो दोस्त चोरो के लिए भी उन्होंने भोजन बांध लिया। रास्ते में लौटते समय उन्होंने तय किया की जंगल में इंतजार कर रहे दोनों दोस्त चोरों को रास्ते से हटा देना चाहिए जिससे पूरे पैसे पर सिर्फ हम दोनो का अधिकार हो जाए और जीवन में कभी भी दूसरी चोरी ना करनी पड़े। इसलिए उन्होंने रास्ते में जहर खरीद कर खाने में मिला दिया।

हालांकि दोनों चोर मन ही मन एक दूसरे को भी मारने की सोच रहे थे। जिससे पूरे पैसे पर उनका अकेले का अधिकार हो जाए। इधर जंगल में दोनों चोर बाहर गांव गए हुए दोनों चोर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि जैसे ही वह दोनों आएंगे उन्हें कुल्हाड़ी से मार दिया जाएगा। और चोरी किए गए पैसो मे दो दावेदार कम हो जाएगे।

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जैसे ही खाना लेकर वह दोनों चोर जंगल में अपने ठिकाने पर पहुंचे, तभी वहां पर मौजूद इंतजार कर रहे दोनों चोरों ने खाना लेकर आए दोनों चोरों को कुल्हाड़ी से मार दिया। और खुशी के मारे उन्होंने वहां पर जश्न मनाया तथा मरे हुये चोरों को ठिकाने लगाने के बाद उनके साथ लाए हुए खाने को चटकारे लेकर खाने लगे। लेकिन उस खाने में जहर था इसलिए अंतिम बचे वह दोनों चोर भी वहीं पर मर गए।

कई वर्ष बाद उस ठिकाने के पास एक चरवाहा गुजर रहा था, उसे वहां पर एक बोरा दिखा जब उसने उस बोरे को खोला तो उसमें खूब सारे हीरे, जवाहरात, सोना और चांदी के गहने थे। उसने उन सारे हीरे और जवाहरात को पुलिस के हवाले कर दिया। इनाम में उसे भी कुछ हीरे जवाहरात दिए गए, अब वह चरवाहा नगर में ही एक भव्य डेयरी की दुकान खोल कर अपना जीवन यापन कर रहा है।

तो दोस्तों आपने देखा कि कैसे लालच में चारों दोस्तों ने एक दूसरे को मार दिया और उन्हें एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली इसलिए दोस्तों कभी भी लालच नहीं करना चाहिए भाग्य और मेहनत ने जितना दिया है, उसे खुशी-खुशी स्वीकार करना चाहिए।

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