एक बार एक राज्य में भगवान बुद्ध पधारे तो राजा के मंत्री ने कहा- ” महाराज भगवान बुध का स्वागत करने आप स्वयं चलें”
यह सुनकर राजा अकड़ कर बोला- “मैं क्यों जाऊं, बुध एक भिक्षु है। भिक्षु के सामने मेरा इस तरह से झुकना उचित नहीं होगा। उन्हें आना होगा तो वह स्वयं चलकर मेरे महल तक आ जाएंगे”
विद्वान मंत्री को राजा का यह अभिमान अच्छा नहीं लगा। उसने तत्काल कहा, – ” महाराज क्षमा करें, मैं आपके जैसे छोटे आदमी के साथ काम नहीं कर सकता।”
इस पर राजा ने कहा, ” मैं और छोटा! मैं तो इतने बड़े साम्राज्य का स्वामी हूं। फिर आप मुझे छोटा कैसे कह सकते हैं। मैं बड़ा हूं इसी कारण बुद्ध के स्वागत के लिए नहीं जा रहा।”
मंत्री बोला- ” आप ना भूले कि भगवान बुद्ध भी कभी महान सम्राट थे। उन्होंने राजसी वैभव त्याग कर साधु का जीवन स्वीकार कर लिया है। इसलिए वह तो आपसे ज्यादा श्रेष्ठ है।”
यह सुनकर राजा की आंखें खुल गई। वह दौड़ा हुआ बुद्ध के पास गय और राजा ने बुद्ध से दीक्षा ग्रहण की।