निम्मी का निजी जीवन (Nimmi का Parichay)
आगरा में 18 फरवरी 1933 को एक मुस्लिम परिवार में जन्मे खूबसूरत लड़की, जिसका नाम नवाब बानो रखा गया। जब नवाब बानो अभिनेत्री बनी तो उनको नया नाम निम्मी (Nimmi) कर दिया गया। इनकी मां का नाम वहीदा बेगम था जो की फिल्मों में गाना गाती और एक्टिंग करती थी। इनके पिता का नाम अब्दुल हकीम था जो कि भारतीय सेना मे थे। एक दिन अचानक निम्मी के पिता अपनी बेटी और पत्नी को बिन बताए मेरठ चले गए और मेरठ में एक लड़की से शादी कर ली। उस वक्त निम्मी काफी छोटी थी। फिर जब निम्मी 11 साल की हुई तभी अचानक उनकी मां भी उन्हें छोड़कर इस दुनिया से चली गई।
निम्मी अनाथ हो गई, छोटी सी बच्ची की देखरेख करने वाला कोई नहीं था तो उनकी नानी उन्हें अपने साथ एब्टाबाद ले गई, 1948 में जब भारत से टूटकर पाकिस्तान बना तो निम्मी के ननिहाल वालों ने भारत में ही रहना स्वीकार किया। और सभी मुंबई में आकर निम्मी की मौसी के घर में रहने लगे।
निम्मी का फिल्मों मे आने का किस्सा
निम्मी की मौसी का नाम सितारा बेगम था, जिनको उपनाम ज्योति मिला था। जोकि 40 के दशक में फिल्मों में गाना भी गाती थी और अभिनय भी करती थी। ज्योति का फिल्म इंडस्ट्री में काफी नाम था, निर्देशक महबूब खान से निम्मी की मां की अच्छी दोस्ती थी वहीदा बेगम ने महबूब खान के साथ 30 के दशक में काम किया था। वहीदा बेगम ने महबूब खान की कई फिल्मों के लिए गीत भी गाए थे। वहीदा बेगम के घर महबूब खान का आना जाना लगा रहता था। जिस वजह से निम्मी उन्हें अंकल कहती थी और उन्हें जानती थी। महबूब खान भी निम्मी को बहुत प्यार करते थे। निम्मी जब थोड़ी बड़ी हुई तो उन्हें फिल्मों में काम करने की इच्छा जागृत हुई। फिल्मी माहौल में तो निम्मी पहले से ही पली-बढ़ी थी। पहले अपनी मां को देखा था फिर मुंबई आकर उन्होने अपनी मौसी को भी फिल्मों मे काम करते देखा था।
एक दिन निम्मी महबूब खान साहब से मिली और अपनी इच्छा जाहिर की और महबूब खान भी चाहते थे कि निम्मी अपनी मां की तरह फिल्मों में नाम कमाए। महबूब खान ने निम्मी से कहा, “पहले तुम शूटिंग देखो उसकी बारीकियों को समझो कि कैसे क्या सूट किया जाता है। फिर तुम्हें फिल्मों मे जरूर मौका देंगे।” फिर एक दिन महबूब खान निम्मी को शूटिंग सेट पर लेकर गए। स्टूडियो में फिल्म अंदाज़ की शूटिंग हो रही थी। इस फिल्म के हीरो थे राज कपूर और दिलीप कुमार, उन दिनों राज कपूर एक फिल्म बरसात बना रहे थे। फिल्म की लीड अभिनेत्री नरगिस थी। लेकिन साइड एक्ट्रेस की राज कपूर को किसी नए चेहरे की तलाश थी। जब राज कपूर ने सेट पर निम्मी को देखा तो उन्हें निम्मी की मासूमियत इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत ही साइड रोल के लिए निम्मी को ऑफर दे दीया। निम्मी ने भी काम करने की हामी भर दी। निम्मी का नाम राज कपूर ने ही नवाब बानो से निम्मी रखा।इस प्रकार निम्मी की पहली फिल्म बरसात थी।
निम्मी की पहली फिल्म
फिल्म बरसात में निम्मी के काम की खूब सराहना हुई, बरसात फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी निम्मी को लेकर सूट किया गया था। इस गाने ने खूब धूम मचाई, उस समय हर कोई इस गाने को गुनगुनाते हुये मिल जाया करता था। इस फिल्म में लीड रोल में नरगिस थी लेकिन निम्मी की इस फिल्म में ज्यादा तारीफ हुई। निम्मी अपनी पहली ही फिल्म से बी टाउन की स्टार बन गई। फिल्म बरसात 1949 में आई थी। निम्मी के फिल्मों की गाड़ी यही से चल पड़ी और उन्हें फिल्मों के ऑफर आने शुरू हो गए।
निम्मी का फिल्मी सफर
निम्मी को हर बड़ा निर्देशक अपनी फिल्मों में लेना चाह रहा था। लेकिन निम्मी फिल्में साइन करने से पहले महबूब खान साहब से फिल्मों के बारे में बातें करती थी। कौन सी फिल्म करनी चाहिए, कौन सी नहीं, जब महबूब खान जिस फिल्म को कहते कि यह सही ऑफर है, तुम्हें करना चाहिए तभी निम्मी फिल्मों के ऑफर एक्सेप्ट करती थी। इससे निम्मी को बहुत फायदा हुआ, उनकी अधिकांश फिल्में हिट हुआ करती थी। 50 के दशक में निम्मी बड़ी अभिनेत्रियों की श्रेणी में गिनी जाती थी। नतीजा यह था कि निम्मी जिस फिल्म में अभिनय कर रही होती थी तो दर्शक फिल्म देखे बिना ही मान लिया करते थे कि फिल्म तो हिट ही होगी।
निम्मी ने उस समय के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ में काम किया था। दिलीप कुमार से लेकर राज कपूर और देवानंद से लेकर प्रेमनाथ तक। निम्मी और अभिनेता दिलीप कुमार की जोड़ी खूब पसंद की गई। निम्मी और दिलीप कुमार की 1951 में आई फिल्म दीदार उस समय की सुपर डुपर हिट फिल्म रही। महबूब खान ने एक फिल्म आन बनाई, जिसमें उन्होंने निम्मी को लीड रोल में लिया था। यह फिल्म उस समय की पहली रंगीन फिल्म थी। फिल्म बनने के बाद सबसे पहले डिस्ट्रीब्यूटर को दिखाई जाती है। तो जब फिल्म आन को डिस्ट्रीब्यूटर ने देखा तो उनका कहना था कि निम्मी के कैरेक्टर को जल्दी ही खत्म कर दिया गया। जब यह जानकारी महबूब खान को पता चली तो उन्होंने एक पूरा सीक्वेंस तैयार किया फिर उनके रोल को फ्लैशबैक के रूप में दिखाया। फिल्म आन 1952 में आई थी। इस फिल्म को बहुत बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया। लंदन के रियलटो थिएटर में यह फिल्म प्रदर्शित हुई थी। लंदन में इसे स्वीकेंस प्रिंसेस के नाम से रिलीज हुई थी। जब फिल्म आन का प्रीमियम रखा गया था। तो उस वक्त महबूब खान उनकी पत्नी और निम्मी थे। वहां पर प्रीमियम देखने के लिए काफी नामी लोगों को बुलाया गया था। जब प्रीमियम लांच हो गया तो उसके बाद एक एरल लेजली थॉमसन फ्लिन भी थे। एरल लेजली थॉमसन फ्लिन ने अपनी परंपरा के अनुसार निम्मी के हाथ में किस करना चाहा तो निमी पीछे हट गई और कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं मैं एक इंडियन हूं। यह सब मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है फिर तो मीडिया को एक गॉसिप मिल गई । उसके अगले दिन ही पेपरों में उनके बारे मे खूब समाचार छापे और उन्हे एक नाम दिया गया द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया।
निम्मी को हॉलीवुड फिल्मों के भी ऑफर आए। निम्मी इस घटना से वहां काफी चर्चा में आ गई थी। लेकिन निम्मी ने हॉलीवुड की बजाय अपने बॉलीवुड को ही चुना और हॉलीवुड के ऑफर ठुकरा दिए। निम्मी की 50 और 60 के समय आई फिल्में खूब धूम मचा रही थी। निम्मी उस समय हर निर्माता निर्देशक की पहली पसंद बनी हुई थी। निम्मी हर तरह के किरदार निभाती थी उन्हें एक ही तरह के किरदार निभाना पसंद नहीं था। निम्मी फिल्में चुनने से पहले यह ध्यान में रखती थी कि जो रोल उन्हें निभाना है, वह चैलेंजिंग है या नहीं। निम्मी ने अपने खुद के रूल बनाए हुए थे, वह किसी दूसरे के शर्तो में काम नहीं करती थी। बल्कि अपनी शर्तें निर्माता निर्देशकों को बताती और फिर फिल्मों के ऑफर स्वीकार करती थी।
निम्मी का फिल्मी करियर मे ढलान
लेकिन कहते हैं ना वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता। जो लोग उनके इतने दीवाने हुआ करते थे, यही दीवानगी उन्हें ले डूबी। 1960 में फिल्म मेरे मेहबूब के लिए लीड रोल के लिए निम्मी को लेना था लेकिन निम्मी को साइड रोल करने का मन था । उन्हें लगा साइड रोल ज्यादा दमदार है निर्माता हरनाम सिंह ने निम्मी को बहुत कहा कि नहीं निम्मी आप लीड रोल में ही फिट बैठती हैं। आपको साइड रोल नहीं करना चाहिए लेकिन निम्मी ने तो अपने खुद के रूल बनाए थे। वह भला क्यों मानती, आखिरकार उन्होने साइड रोल में बहन का रोल निभाया और लीड रोल को अभिनेत्री साधना ने निभाया। जब फिल्म मेरे मेहबूब 1962 में आई तो हिट साबित हुई, लेकिन निम्मी ने जो सोचा था वह नहीं हुआ। इस फिल्म का सारा श्रेय अभिनेत्री साधना को मिल गया। वही दर्शक जो निम्मी के दीवाने हुआ करते थे, आज साधना की दीवानगी उनके सर चढ़कर बोल रही थी। फिर क्या था जो निम्मी फिल्में चुनने में इतनी ध्यान देती थी, आज उनकी एक गलती की वजह से उनके कैरियर की गाड़ी डगमगाने लगी और धीरे-धीरे उनकी गाड़ी पटरी से नीचे उतरने लगी।
इसके बाद एक के बाद एक उनकी फिल्में फ्लॉप होती चली गई। जो अच्छी बैनर की फिल्में थी वह सभी साधना के पास पहुंच गई और हिट हुई। इधर निम्मी को अच्छी फिल्मों के ऑफर आना बंद हो गए। 1993 में निम्मी ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अच्छे रोल किसी ने नहीं दिए, जबकि वह अच्छे रोल करती थी और उन्हें इस बात का दुख आज भी है। निम्मी ने अपने जीवन के 16 साल फिल्म इंडस्ट्री को दिए 1949 से लेकर 1965 तक काम किया। फिर फिल्मों से दूरी बना ली।
निम्मी की शादीशुदा जिंदगी
निम्मी ने अली रजा से शादी कर ली निम्मी ने अली रजा से अरेंज मैरिज की थी। वैसे तो निम्मी के पास किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन उनके कोई संतान नहीं हुई जिस कारण वह बहुत दुखी रहती थी। यह दुख इतना बढ़ गया कि निम्मी खाना पीना तक नहीं खाती थी। निम्मी के पति निम्मी की ऐसी हालत नहीं देख पा रहे थे। फिर उन्होंने निम्मी को सुझाव दिया, उनके बहन के बेटे को गोद लेने का। उन्होंने निम्मी की बहन से बात की और बेटे को गोद लेकर उनके लालन-पालन में लग गई। निम्मी और उनके पति एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, उन दोनों की जिंदगी खुशहाल गुजर रही थी। परंतु 2007 में निम्मी के पति उन्हें छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए। निम्मी अकेली पड़ गई लेकिन उनके बेटे ने निम्मी का बहुत ध्यान रखा, उनकी हर जरूरतें पूरी की, निम्मी कई टीवी शो और कार्यक्रमों में दिखी, उन्होंने अपनी यादों को साझा किया। 25 मार्च 2020 को 88 साल की उम्र में निम्मी ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। निम्मी ने फिल्मों में जो योगदान दिया उसे लोग हमेशा याद रखेंगे।
निम्मी के फिल्मों की सूची
- बरसात 1949
- वफा 1950
- राज मुकुट 1950
- जलते दीप 1950
- सजा 1951
- बुजदिल 1951
- दीदार 1951
- बेदर्दी 1951
- बड़ी बहू 1951
- दाग 1952
- आन 1952
- आँधियाँ 1952
- हमदर्द 1953
- आबशर 1953
- अलिफ लैला 1953
- अमर 1954
- प्यासे नैन 1954
- कस्तुरी 1954
- डंका 1954
- सोसाइटी 1955
- उड़ान खटोला 1955
- भगवत महिमा 1955
- राजधानी 1956
- भाई-भाई 1956
- बसंत बाहर 1956
- अंजलि 1957
- छोटे बाबू 1957
- सोहनी महिवाल 1958
- पहली रात 1959
- चार दिल चार राहे 1959
- अंगुलीमाल 1960
- शम्मा 1961
- मेरे महबूब 1963
- पूजा के फूल 1964
- दाल मे काला 1964
- आकाशदीप 1965
- लव एंड गॉड 1986