अमेरिका के गृह युद्ध के कारण | America Civil War
अमेरिका के उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों में संघर्ष की परम्परा प्राचीन थी। 1787 ई. में संघीय तथा गणतंत्रीय वर्गो में मतभेद उत्पन्न हुआ था। 19वीं शताब्दी के आर्थिक मूल्यों ने भी इस मतभेद में बढ़ोतरी की। 1820 ई. से 1830 ई. तक संघीय राजनीति में मतभेद विशेष रूप से प्रभावशाली थे। 1820 ई. मे पहली बार दासता का प्रश्न उत्तर और दक्षिण के बीच कटु-विवाद का विषय बना था। फलत: मिसूरी समझौता किया गया। यद्यपि इस समझौते ने दास प्रथा को उत्तर पश्चिम से बाहर रखा किन्तु उस समय यह दक्षिण की विजय थी। इसके बाद संघ में टेक्सास के विलय का प्रश्न आया। दक्षिण इसे संघ मे मिलाना चाहता था। किन्तु उत्तर ने इसका विरोध किया। अंत मे टैक्सास एक दास-राज्य के रूप में संघ में शामिल हो गया। इसके बाद मैक्सिकों युद्ध ने उत्तर और दक्षिण की खाई को बढाने मे योगदान दिया। इसका उद्देश्य दास प्रदेश पाना था। केलिफोर्निया की जनता चाहती थी उनके राज्य को स्वतंत्र राज्य बनाया जाय। 1850 ई. के एक समझौते के द्वारा इसे एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया। परन्त्ुा 1848 ई. के पश्चात इनके आधार पर ही राजनैतिक दशा निर्धारित होने लगी थी। अत: यह संघर्ष अमेरिका में गृह युद्ध के रूप में सामने आया। इस गृह युद्ध के लिये निम्नलिखित प्रमुख कारण थे-
- आर्थिक असमानता– अमेरिका के उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों के बीच आरम्भ से ही आर्थिक असमानता विद्यामान थी। 1861 ई. में दक्षिण की तुलना में उत्तरी अमेरिका कहीं ज्यादा अच्छी स्थिति में था। आर्थिक विषमता के कारण उत्तरी तथादक्षिणी राज्यों के अर्थचक्र जीवन दर्शन राजनैतिक विचारधारा और सामाजिक स्तर मे बहुत बड़ा मतभेद था और इसी मतभेद को समाप्त करने के लिये अब्राहम लिंकन ने गृह युद्ध में भाग लेकर संघीय व्यवस्था को मतबूत बनाने का कार्य किया।
- दास प्रथा- दास प्रथा यद्यपि उत्तरी राज्यों के लिये एक नैतिक प्रश्न था। परन्त्ुा दक्षिण वालों के लिये विशेष रूप से यह आर्थिक हित का प्रश्न था। इसी कारण इसके प्रति वे इतने संवेदी थे। दास प्रथा का झगडा बहुत पुराना था, इसलिये इसको गृह युद्ध का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप का कारण माना जा सकता है।
- दास मालिकों की गलतियाँ– दास मालिकों के सबसे बडी भूल यह थी कि उन्होने संघ को तोडने के प्रयास में युद्ध आरम्भ किया। यह एक दु:साहस था जो उनकी दुर्भाग्यपूर्ण भूल सिद्ध हुआ।
- राजनैतिक प्रचार द्वारा भय का वातावरण– दास प्रथा विरोधियों में दक्षिणी राज्यों में यह भय उत्पन्न कर रखा थ कि उत्तर द्वारा दक्षिण की ऐतिहासिक श्रम प्रणाली को नष्ट कर दिया जायेगा। उत्तरी राज्यों के नेताओं द्वारा दक्षिणवासियों की जो आलोचना की गई उनमें से अधिकांश स्वार्थपूर्ण, अव्यावहारिक और अपमानजनक थी। फलत: दक्षिण्वासियों में आशंका से भय घृणा और रोष का वातावरण पैदा हुआ। दूसरी और दक्षिणवासियों द्वारा दास प्रथा को फैलाने के लिये जो प्रयास किये जा रहे थे, उनके कारण उत्तर में लिंकन जैसे व्यक्ति को भी भय हुआ कि। कहीं समस्त देश में दास प्रथा न फैल जाय। लिंकन ने दासता को नैतिक सामाजिक एवं राजनैतिक रूप से दोषपूर्ण संस्था की संज्ञा दी । डगलस ने नैतिकता के प्रश्न का विषयातंर कर फ्रीपोर्ट सिद्धान्त को मान्यता दी जिसके अनुसार दासता का प्रश्न प्रान्तीय संविधान के अंतर्गत था। इस सिद्धान्त ने दक्षिण में आलोचना का वातावरण उत्पन्न कर गृह युद्ध को आवश्यक बना दिया।
- समझौता प्रयासो की असफलता- दक्षिण के सात राज्यों का संघ से पृथक होना संयुक्त राज्य के अस्तित्व के लिये एक विकट समस्या थी। अमेरिकी संविधान निर्माताओं ने किसी राज्य को संघ से पृथक होने का अधिकार स्पष्ट नही दिया था। क्योकि वे इसे बनाये रखना चाहते थे। समझौता करने हेतु न्ययार्क, बोस्टन और फिलाडेलाफिया में अनेक सभायें आयोजित की गयी। इनमें समझौतावादी भावनाएँ अभिव्यक्त् हुई। लेकिन सभी समझौता प्रयास असफल रहे तथा दक्षिणी राज्यों का संघ विरोधी दृष्टिकोण होने से गृह युद्ध नहीं टाला जा सका।
अमेरिका का गृह युद्ध (1861-1865)
गृह युद्ध का आरम्भ- 12 अप्रैल 1861 ई. को जब दक्षिणी कैरोलिमा ने सुम्टर के किले पर बम फैंककर संघ के विरूद्ध युद्ध छेड़ दिया तो लिंकन के लिये यह आवश्यक हो गया था कि सशस्त्र हस्तक्षेप द्वारा विघटित संघ की रक्षा करे। सशस्त्र हस्तक्षेप करने में उसकों यह शंका थी कि यदि उसने उतावलेपन से काम किया तो सम्भव है कि जो शेष आठ दास प्रथा समर्थक राज्य है, वे दक्षिण संघ से गठबंधन कर ले। किसी अन्तिम निर्णय पर पहुँचने के लिये उसकों अपने कैबिनेट से भी सहायता न मिली। अन्ततोगत्वा लिंकन ने 6 अप्रैल 1861 ई. को पिकेंस और सुम्टर के दुर्गो में प्रबलीकरण सेना भेजने का आदेश जारी कर दिया। 15 अप्रैल 1861 ई. को उसने 75 हजार नागरिकों की सेना को संघ के कानून को लागू करने के लिये तैनात किया और परिसंघ के तटों की नाकेबंदी के आदेश दे दिये। बहुत कम लोगों ने अगामी संघर्ष की भयंकरता और गम्भीरता की कल्पना की थी। अत: स्वतंत्र आठ राज्यों के लिये यह आवश्यक हो गया कि वे किसी न किसी का पक्ष ग्रहण करें। चार राज्यों- वर्जीनिया, नार्थ कैरोलीना, टेन्नासी और कांसास- ने दक्षिण संघ में सम्मिलित होने का निर्णय किया और शेष चार राज्य- मेरीलैण्ड, डेलावेयर, केटकी और मिसूरी पुराने संघ के साथ रहे। राज्य संघ की राजधानी मांटगुमरी से रिचमान्ड मे स्थानान्तरित की गई। वह वाशिंगटन से 100 मील दूर ही थी। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का यह युद्ध 12 अप्रैल 1861 ई. को आरम्भ होकर 26 मई 1865 ई. को समाप्त हुआ। अमेरिका के इतिहास में इस गृह युद्ध को दो नामों से लिखा जाता है। उत्तरी राज्यों मे इसे महान् विद्रोह कहा गया और दक्षिणी राज्यों में राज्यों का युद्ध। हम यहाँ इसकों गृह युद्ध के नाम से ही लिखेगे क्योंकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की घेरलू लडाई थी।
गृह राज्य के समय यूरोप के अन्य राज्यों का रूख-
युद्ध के आरम्भ में इंग्लैण्ड और फ्रांस का प्रशासक वर्ग परिसंघ का साथ था, किन्तु इन देशों का जनमत इस प्रश्न पर विभाजित था। अधिकांश लोगों ने इसे दासता और स्वतंत्रता का संघर्ष माना और उत्तर के साथ सहानुभूति दिखाई। दक्षिण के राज्यों का अनुमान था कि इंग्लैण्ड और फ्रांस को रूई प्राप्ति के कारण परिसंघ का समर्थन करना होगा। दक्षिणी राज्यों की नाकेबंदी के कारण यद्यपि ब्रिटेन की सूती मिलो पर संकट आया, किन्तु जनभावनाओं ने उत्तर का ही समर्थन किया। ट्रेन्ट काण्ड तथा अलाबामा की घटनाओं ने भी इंग्लैण्ड तथा संघीय राज्यों मे मतभेद उत्पन्न किया, किन्तु यह मतभेद शीघ्र दूर हो गया। यही पर यह प्रश्न उठता है कि अनुकूल परिस्थिति के होते हुए भी इंग्लैण्ड ने दक्षिणी परिसंघ के सहायतार्थ अपना हाथ क्यों नहीं बढ़ाया। इसके दो उत्तर हो सकते हैं। प्रथम यह कि उत्तर और दक्षिण दोनों क्षेत्रों ने इंग्लैण्ड से सहायता की याचना की थी। सरकार बिना सोचे विचारे कोई निर्णायक कदम कैसे उठाती। दूसरे इस समय यूरोप में कुछ उथल-पुथल के चिन्ह भी दिखाई देने लगे थे। जार अलेक्जेण्डर द्वितीय ने सर्फस (दास-कृषकों) को मुक्त कर दिया था। (1861 ई.) और उनकी भूमि और भवन के लिये सहायता का आश्वासन भी दिया था। इटली में भी इस वर्ष वैधानिक राजतंत्र स्थापित हो गया था। फ्रशा में फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु के उपरान्त विलियम प्रथम सत्तारूढ़ हो गया था। राजतंत्र का चतुर खिलाडी बिस्मार्क इसका दायां हाथ था। फ्रांस में नेपोलियन तृतीय भी महत्वाकांक्षी था ऐसी स्थिति में इंग्लैण्ड के समक्ष यह प्रश्न था कि क्या दूरस्थ देश के झगडों में उलझना उसके लिये बुद्धिमानी होगी। ऐसी स्थिति में इंग्लैण्ड ने तटस्थ रहना ही हितकर समझा। यह सच है कि उत्तर वालों की घेराबंदी की नीति से इंग्लैण्ड के व्यापार को कुछ क्षति अवश्य पहुँची परन्त्ुा उसकी इतनी मात्रा न थी कि वह उसका प्रतिरोध करता और उसके लिये लडाई मोल ले लेता।
गृह-युद्ध के समय दक्षिणी राज्य चाहते थे कि यदि उन्हें विदेशी सहायता तथा मान्यता प्राप्त हो जाय तो यह युद्ध सहायक होगी। ये राज्य इंग्लैण्ड तथा फ्रांस को नाकेबंदी तोडनें और मध्यस्थता के लिये तैयार करना चाहते थे। उत्तरी राज्यों का यह विश्वास था कि यदि बाहरी हस्तक्षेप ने हो तो वह दक्षिण को परास्त कर देगा। अत: उसने यह प्रयास किया कि दूसरे देशों को दक्षिण को मान्यता देने से रोके। गृह-युद्ध में इंग्लैण्ड तथा फ्रांस का विशेष प्रस्ताव रहा। ये दोनों देश क्रीमिया युद्ध से रूस के विरूद्ध लड़े थे और इन्होनें एक संधि द्वारा इस बात को भी स्वीकार किया था। कि संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बंधित प्रश्नों पर इंग्लैण्ड की बात स्वीकार की जायेगी। इस समय यूरोप की तीसरी शक्ति रूस ने उत्तरी अमेरिका का समर्थन किया था अत: दक्षिण की स्थिति दयनीय हो गयी।
इस प्रकार दोनों प्रतिद्वन्द्वियों मे इतनी असमानताएँ होते हुए भी यह युद्ध चार वर्ष तक चलता रहा। युद्ध के प्रथम तीन वर्ष तक संघ के सैनिक संगठन का सर्वोच्च निर्देशक राष्ट्रपति लिंकन था। प्रारम्भ से ही उसने अपनी सेनाओं का मुख्य लक्ष्य दक्षिणी प्रदेश पर अधिकार करना नही वरन् परिसंघ की सेनाओं का विनाश करना बनाया। 1864 ई. में यू. एस. ग्राण्ट को मुख्य सेनापति बनाया गया। दक्षिणी राज्यों के परिसंघ का सैनिक नेतृत्व आरम्भ में उन योग्य सेनाध्यक्षों के हाथों में रहा, जिन्हें संयुक्त राज्य के योग्यतम सेनाधिकारी कहा जा सकता है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नाम राबर्ट ई. ली. का था। उसके अतिरिक्त जेक्सन, एलबर्ट जान्सटन जार्जिफ जोन्सन, जार्ज ब्राउन आदि ने भी संचालन का कार्य किया था।
युद्ध के विभिन्न मोर्चे एवं दक्षिण की पराजय- 12 अप्रैल 1861 ई. को दक्षिणी कैरोलिना ने उत्तरी राज्यों की सेना के नियंत्रण में सुम्टर दुर्ग स्थित संघीय शस्त्रागार पर बम वर्षा करके गृह युद्ध का सूत्रपात किया। युद्ध के चार मोर्चे विशेष रूप से उल्लेखनीय है- समुद्र, मिसिसिप्पी घाटी, वर्जीनिया तथा पूर्वी तटवर्ती राज्य और कूटनीतिक क्षेत्र। युद्ध के आरम्भ में प्राय: 40 जहाजों की जलसेना संघ के हाथ में थी किन्त्ुा यह बिखरी हुई थी। जलसेना के योग्य मंत्री गिडियन वेल्स ने इसे शीघ्र ही पुनर्गठित कर शक्तिशाली बना लिया। लिंकन ने जब दक्षिणी समुद्र तट की घेरेबंदी की घोषणा की तब शुरू मे बेहद कमजोर होने पर भी यह घेराबंदी 1863ई. तक बहुत प्रभावकारी बन गयी। इसके कारण दक्षिणी राज्यों से यूरोप को कपास का निर्यात बन्द हो गया और उनके लिये अत्यन्त आवश्यक गोलाबारूद कपडों तथा औषधि का आयात भी रूक गया।
इसी बीच डेविड जी. फरागट नामक प्रतिभाशाली नौसेनाध्यक्ष का भी प्रादुर्भाव हुआ और उसने दो विशिष्ट आक्रमणों का नेतृत्व किया। पहले अभियान मे वह उत्तर के जहाजी बेड़ों का मिसिसिप्पी नदी के मुहाने के भीतर ले गया और दो मजबूत किलों को पार करता हुआ न्यू आर्लियन्स को आत्मसमर्पण के लिये विवश कर दिया। दूसरे अभियान मे उसने मोबाइल खाड़ी के दुर्ग’बद्ध द्वार को पार करके दक्षिण के एक बख्तरबंद जहाज पर कब्जा कर लिया और बन्दरगाह का बंद कर डाला। उत्तर की सेना ने 1862 ई. में दक्षिण में मेरीमैंक तथा अलाबामा नामक जहाजों को भी नष्ट कर दिया। इस प्रकार समुद्र पर उत्तर को पूर्ण सफलता मिली, जिससे दक्षिण के लोग विदेशी सहायता से वंचित हो गये।
मिसिसिप्पी घाटी मे संघ की सेनाओं की प्राय: लगातार अनेक स्थानों पर जीत हुई। युद्ध के आरम्भ में ही उन्होनें टेनेसी में दक्षिण की लम्बी पंक्तिबद्ध मोर्चेबंदी को भंग कर दिया और इस प्रकार राज्य के प्राय: समस्त पश्चिमी भाग पर सरलतापूर्वक अधिकार कर लिया गया। मिसिसिप्पी के महत्वपूर्ण बन्दरगाह मौम्फस को लेने के पश्चात संघ क सेनाएँ परिसंघ के भीतरी इलाकों में 200 मील तक चली गयी। 1863 ई. में उत्तरी सेनाध्यक्ष यू.एस. ग्राण्ट को एक महत्वपूर्ण सफलता और प्राप्त हुई। वह विक्सबर्ग को घेरकर नीचे की ओर बढ गया और छ: सप्ताह तक उसने परिसंघ की सेनाओं को घेरे में रखा। 4 जुलाई को दक्षिण के सबसे मजबूत पश्चिमी किले विक्सबर्ग नगर पर उत्तरी सेनाओं का अधिकार हो गया। इसी विजय के उपलक्ष्य में लिंकन ने कहा था, ‘हमारी महानदी अब निर्बाध होकर समुद्र में भेंट करने जा रही है’। इसके बाद दक्षिण दो हिस्सों मे विभक्त हो गया और नदी के पार टैक्सास तथा अर्कन्सास नामक प्रदेशों से पूर्व की रियासतो के लिये रसद ला सकना लगभग असम्भव ही हो गया था।
इस बीच 1 जनवरी 1863 ई. को एक उल्लेखनीय घटना घटी। राष्ट्रपति लिंकन ने अपनी सुप्रसिद्ध ‘मुक्ति घोषणा’ का एलान किया। जिसके अनुसार सब दास स्वतंत्र कर दिये गए और उन्हें राष्ट्रीय सेनाओं में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित किया गया। लगभग एक लाख पचास हजार नीग्रोदास उत्तरी सेना में भर्ती हुए। दक्षिण वालों ने इस घोषणा को महत्वपूर्ण समझा और युद्धकालीन परिस्थ्ितियों से विवश होकर दासों को मुक्त कर दिया। इस प्रकार अब सारा राष्ट्र दास-प्रथा से मुक्त हो गया और युद्ध के एक उद्देश्य की पूर्ति हो गई।
सन् 1864 के आरम्भ के दिनों में ग्राण्ट को पूर्व की ओर भेजा गया। कई युद्धों में उसने ली की सेनाओं को परास्त किया। अब युद्ध का अन्त स्पष्ट दिखाई दे रहा था। पेन्सिल्वेनिया, विक्सबर्ग, एटलाण्टा के संघर्ष में उत्तरी सेनाओं की विजय हुई। अन्त में 9 अप्रैल 1865 को दक्षिण की सेनाओं के सेनापति ली ने ग्राण्ट के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया। 26 अप्रैल को जान्टसन ने शर्मन के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया और इसी के साथ गृह-युद्ध समाप्त हो गया।
गृह युद्ध के प्रभाव और परिणाम
गृह युद्ध ने अमेरिका के इतिहास में एक नवीन युग एवं अध्याय का समावेश किया। अमेरिकी इतिहास में इस भाई-भाई के युद्ध ने जहाँ एक ओर संघर्ष तथा विध्वंसता का परिचय दिया वहीं दूसरी ओर इस संघर्ष में अमेरिका के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक मूल्यों मे वृद्धि की। गृह युद्ध के निम्नलिखित प्रमुख कारण और परिणाम रहें-
- इस संघर्ष ने अमेरिका के राजनैतिक एवं प्रशासनिक केन्द्रों का सुदृढ़ता प्रदान की।
- संविधान के 14वें और 15वें संशोधनों द्वारा मुक्त दासों को अमेरिका के किसी भी नागरिक को जाति रंग अथवा पूर्ण अधीनता के आधार पर मताधिकार से वर्जित नही किया जा सकता।
- इस युद्ध में दोनों पक्षों का पर्याप्त धन खर्च हुआ। यही नहीं इस युद्ध के लाखों व्यक्ति शारीरिक रूप से हमेशा के लिये बेकार हो गये।
- गृह युद्ध के कारण उत्तर और दक्षिण के राज्यों के बीच घृणा की भावना उत्पन्न हुई।
- संयुक्त राज्य में गृह युद्ध के बाद एक नवीन औद्योगिक संभ्यता ने जन्म् लिया। पुराने उद्योगों को नष्ट किया गया नये उद्योग स्थापित हुए नगरों की संख्या बढ़ी और व्यापार वाणिज्य फैला।
- सामाजिक क्षेत्र में गृह युद्ध की सबसे बड़ी उपलब्धि दास प्रथा की समाप्ति थी। यद्यपि 1 जनवरी 1863 ई. से लिंकन ने दास प्रथा के अन्त की घोषणा कर दी थी किन्त्ुा उसकों गृह युद्ध के बाद ही क्रियान्वित किया जा सका। देश के लाखों दास स्वतंत्र कर दिये गए लेकिन इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी।
- औद्योगिक क्रांति और तकनीक विकास के कारण देहाती क्षेत्र नगरीय क्षेत्रों में परिणत हो गये।
इस प्रकार अमेरिका के गृह युद्ध ने वहां के आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक पुननिर्माण का आधार तैयार किया।
Keyword – गृह युद्ध के परिणाम, अमेरिकी गृह युद्ध कब हुआ, american civil war summary, when did the civil war start, american civil war summary, when did the civil war start, american civil war location,