एक बार स्वामी सत्यव्रत यूरोप यात्रा के दौरान फ्रांस नाम के देश के थे। वहां उनकी मेजबान एक महिला थी, उन्होंने सत्यव्रत को नगर घुमाने के लिए एक घोड़ा गाड़ी किराए पर ली। भ्रमण के दौरान वह दोनों पेरिस के बाहर स्थित एक गांव में घूमने के लिए पहुंचे, मार्ग में गाड़ी चलाने वाले ने घोड़ेगाड़ी को एक जगह पर रोक दिया और वहां राह से गुजर रहे कुछ बच्चों को दुलार कर वापस गाड़ी में आ गया। उन बच्चों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह किसी रहीस घराने से हैं।
मेजबान महिला ने गाड़ी चलाने वाले से पूछा कि वह बच्चे किसके हैं, तो कोचवान ने बताया कि वह बच्चे उसी के हैं। इतना कहकर गाड़ी चलाने वाले ने अपनी कहानी उस महिला को तथा स्वामी सत्यव्रत को सुनाने लगा।
उसने बताया कि वह पेरिस शहर के एक बहुत बड़े बैंक का मालिक हुआ करता था। व्यापार में अचानक बहुत बड़ा घाटा हो जाने की वजह से बैंक को बंद करना पड़ गया। उसने शहर से गांव में आकर, एक मकान किराए पर ले लिया और वहां रहने लगा। गुजारे के लिए उसने कोचवान का कार्य शुरू कर दिया। और घोड़ा गाड़ी चला कर परिवार का लालन-पालन करने लगा।
उसने आगे बोला कि उसे कुछ दूसरे व्यापारियों से पैसे लेने हैं। उसने शहर के कुछ व्यापारियों को उधार में पैसे दिए थे, जब वह रकम उसे वापस मिल जाएगी। तब वह अपने बकाया कर्ज को चुका कर, अपने व्यापार को फिर से प्रारंभ कर देगा।
गाड़ीवाले की बात सुनकर स्वामी सत्यव्रत बहुत ही प्रभावित हुए और बोले कि सच्चा आध्यात्मिक गुण यही है की जब हम अपने जीवन के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होते और अपना कार्य करते रहते हैं तथा विपरीत परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को बनाए रखते हैं।
स्वामी सत्यव्रत ने उस गाड़ी चलाने वाले को अपने गले लगाया और उसकी इस धैर्य शक्ति को प्रणाम किया।
Moral of Hindi story – स्थिति कितनी भी बुरी हो जाए पर इंसान को अपने धैर्य को नहीं खोना चाहिए, क्योंकि धैर्यवान ही व्यक्ति विपरीत स्थिति मे समस्या का हल खोज सकता हैं। जो विपरीत स्थिति मे अपना धैर्य खो देते हैं वो लोग परेशानी और चिंता की वजह से टूट जाते हैं। यह hindi kahani आपको कैसी लगी कमेन्ट कर के जरूर बताए और यह hindi story आपको पसंद आई हो तो प्लीज शेयर जरूर करे।