यह hindi story अजीत गौतम के द्वारा लिखी गई हैं, इस hindi story मे एक व्यक्ति के बारे मे लिखा गया हैं जो लालच मे पड़ कर दूध मे मिलावट करने लगा। इस hindi kahaniya को जरूर पढे और पसंद आने मे शेयर करे।
एक बार की बात है, एक गाँव में एक सेठ रहता था। सेठ पैसे कमाने का बहुत लालची था। इसलिए वह बहुत से व्यापार करता रहता था। इस बार उसकी नजर दूध के व्यापार पर गई, उसने सोचा दूध पीना तो कोई भी बंद नहीं करेगा। इसलिए यह व्यापार हमेशा चलता रहेगा और इसमें नुकसान होने की भी संभावना नहीं है।
यह सोच कर सेठ ने दूध का व्यापार प्रारंभ कर दिया, दूध को बेचने के लिए उसने एक व्यक्ति को नौकरी पर रखा। उसका नाम रामू काका था, रामू काका ही सेठ के दूध के व्यापार को देखते थे और पूरे गांव में दूध वितरण करने का काम रामू काका का ही था।
गांव वाले उन्हें दूधवाला कहकर बुलाया करते थे, रामू काका सेठ के द्वारा दिए वेतन से संतुष्ट नहीं था। इसलिए उसके मन में लालच आ गया और उसने दूध के व्यापार में गड़बड़ी करने का सोच लिया। उसने सोचा शुद्ध दूध लोगों को पचता नहीं है और वे शिकायत करते हैं कि आपके दूध को पीने के बाद पेट खराब हो जाता है।
बहुत से लोग गाय का दूध मांगते हैं क्योंकि वह पतला होता है। फिर रामू काका ने भैंस के दूध में पानी मिलाकर और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर बेचने लगा। सेठ के यहां दिन में 200 लीटर दूध होता था, लेकिन रामू काका 350 लीटर रोज बेचा करते थे। यह जो 150 लीटर अधिक दूध बेचा जाता था , उसका पूरा पैसा रामू काका अपने पास रखते थे। धीरे-धीरे रामू काका की लालच और बढ़ने लगी और वह दूध में और ज्यादा पानी मिलाने लगे।
अब गांव वालों को लगने लगा की दूध बहुत ही ज्यादा पतला होता जा रहा है। ना तो इस दूध से अच्छी मलाई बनती है और ना ही इसका अच्छे से दही जम पाता है। निश्चित ही इस दूध में मिलावट की जाती है। यह सोच कर गांव वाले सेठ पर दोष मढ़ने लगे।
अंग्रेजों तो भ्रम फैला कर गए ही थे की ब्रांहण और बनिया सिर्फ लूटते हैं तो बहुत से भारतीयों के मन में यह भ्रम, कूट-कूट कर भरा हुआ था। उन्हें लगा सब गलती सेठ की है, पूरे गांव में दूध की मिलावट की खबर फैल गई और सब अपने सामने सेठ को ही बुरा भला बोलते थे।
यह बात गांव के ठाकुर तक भी पहुंच गई, गांव का ठाकुर सेठ का परम मित्र था। उसने सेठ को घर बुलाकर सारी बात बता दी कि गांव वाले दूध की मिलावट से परेशान हैं और उन्हें लगता है कि तुम दूध में मिलावट करके उन्हें ठग रहे हो। सेठ ने जब यह सुना तो उसे ताज्जुब हुआ, क्योंकि वह ऐसा नहीं कर रहा था।
तब सेठ घर आकर रामू काका को बुलाया और उनसे दूध की मिलावट की बात पूछी। रामू काका ने साफ मना कर दिया, उन्होंने कहा कि यह खबर झूठी है गांव वाले आपसे चिढ़ते हैं इसलिए आप के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं या फिर जो दूध लगाने आता है, वही दूध में मिलावट कर रहा होगा। तब सेठ ने दूध लगाने वाले व्यक्ति को नौकरी से हटा दिया, इधर रामू काका सतर्क हो गए और उन्होंने दूध में मिलावट करना कम कर दिया।
जिस प्रकार कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं होती है, ठीक उसी प्रकार लालच में पड़े हुए किसी व्यक्ति की लालच कभी समाप्त नहीं होती है और यही कारण है की कुछ दिन संभलने के बाद रामू काका फिर अपनी लालच के फंदे में फस गए और फिर से दूध में मिलावट का काम करने लगे।
लेकिन इस बार सेठ की नजर रामू काका पर थी और जब रामू काका ने दूध में मिलावट का काम फिर से चालू किया तो सेठ ने इस बार उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया और गांव के सरपंचों के सामने पेश किया। सेठ गांव वालों के सामने निर्दोष साबित हुआ और दूधवाले रामू काका को गांव के सरपंचों ने गांव से बाहर निकाल दिया। रामू काका को अपने लालच पर बड़ा पछतावा हुआ और उसने कसम खाया कि अब वह कभी भी लालच में आकर कोई भी गलत काम नहीं करेगा।