“इस hindi story को अजीत मिश्रा जी ने लिखा हैं, यह hindi kahaniya एक पंडित जी पर आधारित हैं जो की भगवान का भक्त था और उसके ऊपर चोरी का इल्जाम लगा और फिर हनुमान जी ने उसकी जान बचाई, यह hindi story आपको कैसे लगी कमेन्ट कर के जरूर बताए। “
एक बार की बात है। एक गांव में एक पंडित रहता था, वह बहुत ही ईमानदार था, उसके पास धन नहीं था, पर वह फिर भी सबकी चिंता एवं मदद करता था,
एक दिन एक राहगीर उसके पास आया और उससे मंदिर में रुकने की मदद मांगी, पंडित को लगा की बेचारा बहुत दूर से आया है , रात होने को आई, पाता नहीं कहां भटके गा, यह सोच कर पंडित जी ने उसे मंदिर में एक रात रुकने की अनुमति दे दी।
लेकिन वह राहगीर, एक चोर था, बहुत दिनों से उसकी नजर मंदिर के भगवन के गहनों में थी।
इसलिए वह साजिश के तहत राहगीर बनकर यहां आया था, जिसे मंदिर में रुकने के बहाने वह मंदिर में चोरी कर सके।
पंडित ने राहगीर को खाना खिला कर मंदिर के पास बने अपने कुटिया में सोने चला गया।
आधी रात को जब सारा गांव सो गया तब राहगीर उठ गया, उसने आसपास देखा तो हर तरफ सन्नाटा था, चोरी के लिए उसे यही समय लगा, उसने मंदिर में चोरी कर ली और रात में ही गांव से दूर चला गया। सुबह जब पंडित जी आए तो उन्होंने देखा की मंदिर में चोरी हो गई हैं, उन्होंने पूरे गांव को सूचना जी, देखते ही देखते पूरा गांव मंदिर के परिसर में जमा हो गए।
लेकिन दबे जबान पंडित के विरोधी ने मंदिर में चोरी का इल्जाम पंडित जी पर ही लगा दिया, विरोधियों ने दलील दी की पंडित जी को अपनी बेटी की शादी करनी थी, उन्हें पैसे की बहुत जरूरत थी, पिछले हफ्ते उन्होंने नगर सेठ के यहां बेटी की शादी के लिए पैसे लोन लेने गए थे। लेकिन सेठ ने पैसे देने से मना कर दिया।
पंचायत बैठाई गई और उस पंचायत में पंडित जी को दोषी करार दिया गया।
और उन्हें मंदिर में चोरी का दोषी माना गया और उन्हें फांसी की सजा दी गई। फांसी देने की तिथि अगले महीने की दी गई।
पंडित जी हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। हनुमान जी को यह सब देख बहु दुख हुआ, हनुमान जी ने अपनी माया से चोर को पागल कर दिया, एक रात हनुमान जी ने एक बूढ़े पंडित के रूप में उस चोर को स्वप्न में आकर कहा की तेरा जीवन और दुखदाई हो जाएगा क्योंकि तूने मंदिर में चोरी की है और तेरी चोरी की सजा एक निर्दोष पंडित को दी जा रही हैं। इस लिए अगर तू वहां जा कर अपने दोष नही कबूलता तो तेरे कष्ट और बढ़ जायेंगे।
अगले दिन ही चोर गांव की ओर चल दिया, अगले दिन वह वहां पहुंच कर गांव वालो के सामने अपना पाप कबूल लिया, और चोरी की गई मूर्ति को पंचों के सामने पेश किया।
पंचों ने पंडितजी को बुला कर क्षमा मांगी और गांव में मौजूद उनके विरोधियों को जिन्होंने पंडित जी को फसाने के लिए झूठी गवाही दी थी, उन्हें भारीभरकम जुर्माना लगाया। और उस जुर्माने के पैसे को पंडित जी को दे दिया गया, जिससे वो अपनी कन्या का विवाह करा सके।
गांव के अन्य लोगो ने भी क्षमा याचना के रूप में पंडित जी की बेटी की शादी के लिए दान एवं खूब सारे अनाज दिया।
पंडित जी ने खुशी खुशी अपनी बेटी की शादी की,
शिक्षा – जो भगवान पर विश्वास करते हैं भगवान उनके कष्ट जल्दी ही दूर कर देते हैं, कष्ट जीवन की सीख देता हैं इस लिए इसलिए कष्ट तो सबको आता हैं, पर भगवन को मानने वालो का कष्ट जल्दी दूर हो जाते हैं