बात 4 – 5 साल पुरानी है! दशहरे का समय था! मैं अपने दोस्तों के साथ रामलीला देखने गया हुआ था! रामलीला गाँव से कुछ दूर बाज़ार की तरफ थी! रामलीला 12 बजे के करीब ख़तम हुई! मेरे सारे दोस्त घर को निकलने लगे!
मगर मैं वहीं के कुछ दोस्तों के साथ बातें करने लगा! जब मैं वापस जाने लगा तो मुझे कोई अपने साथ का नहीं मिला! अब मैंने सोचा कि यही रुक जाऊं मगर फिर सोचा कि घर वाले परेशान होंगे इसलिये घर के लिये निकल गया! रास्ते में जंगल पड़ता था और मेरे पास कोई टॉर्च भी नहीं थी!
जंगल में घनघोर अँधेरा था! पेड़ों को देख कर भी ऐसा लग रहा था जैसे कोई भूत खड़ा हो!अचानक कोई मेरे सामने से तेज़ी से गुज़रा! मुझे लगा की ये पास के गाँव का कोई लड़का है! मुझे थोड़ी राहत मिली क्यूंकि मुझे कोई साथी मिल गया था! मगर वो लड़का बहुत तेज़ी से भाग रहा था!
मैंने पीछे से आवाज़ लगाई – ओ गोल्ड मेडलिस्ट जरा धीरे चल यार!मगर इतने में वह लड़का रास्ते से बहार घनी झाडियों की तरफ कूद गया!
मुझे हैरानी हुई कि इतनी रात में कोई जंगल की तरफ क्यूं जायेगा! मुझे डर लगने लगा, मैं तेज़ी से अपने कदम बढाने लगा! मगर मुझे ऐसा लग रहा था की वो लड़का मेरे साथ साथ ही चल रहा है! थोड़ी ही दूर एक हनुमान मंदिर था!
मैं भाग कर मंदिर के अन्दर चला गया और सुबह तक वहीँ बैठा रहा! सुबह जब एक दो लोग आते जाते दिखे तो मैं वहां से उठा और घर चला गया!