भूत की कहानी : साइकल वाला भूत

भूत की कहानी : साइकल वाला भूत

साइकल वाला भूत एक अजीबोगरीब और खौफनाक कहानी है, जिसकी शुरुआत 1947 में होती है। उस समय, गाँव से शहर की ओर जाने वाला एक व्यक्ति रात के अंधेरे में नदी किनारे से होकर गुजर रहा था। उसके पास एक पुरानी साइकल थी, जो उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा थी। रास्ते में लूटेरों का एक गिरोह उसे घेर लेता है, उसकी सारी संपत्ति लूट लेता है, और फिर उसे मारकर नदी में फेंक देता है। उसकी साइकल वहीं नदी किनारे पड़ी रह जाती है।

कहते हैं कि वह व्यक्ति अधूरी इच्छाओं के कारण मृत्युलोक में ही फंसा रह गया। उसके शव के साथ हुई क्रूरता और बेइंसाफी ने उसे चैन से मरने नहीं दिया। तब से लेकर अब तक, उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिली और उसकी पुरानी साइकल उस पुल के पास अकसर दिखाई देती है। जो भी रात को उस पुल से गुजरता है, अगर उसने उस साइकल को देख लिया तो इसका मतलब हैं की वह भूत भी आसपास ही हैं। लोगों का कहना है कि उस साइकल के दिखते ही आस-पास का माहौल अचानक से बादल जाता था, माहौल सिहरन भरा हो जाता था, और एक अजीब सी ठंडी हवा चलने लगती थी।

कई लोग दावा हैं कि भूत अब केवल दिखने तक सीमित नहीं रहा। वो अजीब और डरावने रूप में सामने आता है। कई बार वह इतना लंबा दिखाई देता हैं की उसका ओर-छोर पता नहीं चलता हैं। कई बार वह डरावने जानवर मे परिवर्तित हो जाता था, तो कई बार रात में गुजरने वाले यात्रियों को वह अपने विकराल हाथों से पकड़ कर नदी में धकेल देता था। लोगों का कहना है कि नदी के अंदर कोई अदृश्य शक्ति उन्हें घसीट कर ले जाती है।

कभी-कभी, वो किसी व्यक्ति के शरीर में समा जाता है और उस व्यक्ति को खुद नियंत्रण करने लगता हैं। जिस व्यक्ति को वह अपने काबू मे करता था, उसे कोई भी सुध-बुध नहीं रहती थी, बेहोशी की हालत में व्यक्ति नदी की ओर बढ़ता जाता था, जैसे कोई उसे खींच रहा हो। नदी के ठंडे पानी में डूबते ही वह तेज तेज तैरने लगता, कभी कभी वह तैरते हुए हवा मे डोलफिल मछली की तरह छलांगे लगाता था, और जब उसे होश आता है, तब तक उसकी आत्मा पर भारी असर पड़ चुका होता है।

See also  रहस्यमयी इंग्लैंड का एक अस्पताल - नॉक्टन हॉल अस्पताल

यह भूत केवल पैदल यात्रियों को ही नहीं सताता, बल्कि यदि कोई कार या ट्रैक्टर से भी उस पुल से गुजरने की कोशिश करता, तो वह वाहन एकाएक भारी हो जाता, जैसे कोई अदृश्य ताकत उसे रोक रही हो। ट्रैक्टर का इंजन जोर लगाकर भी एक इंच आगे नहीं बढ़ा पाता। ऐसे में वाहन चालकों को अपनी गाड़ी वहीं छोड़ कर भागना पड़ता। अगले दिन वह कार या ट्रेक्टर नदी में गिरा हुआ मिलता था।

गाँव के लोग इस भूत से इतने डरे हुए थे कि उन्होंने रात 9 बजे के बाद उस पुल से गुजरना ही बंद कर दिया। अगर किसी को नदी पर कर के काही जाने की जरूरत पड़ती तो भी लोग कहीं नहीं जाते थे, अगर बहुत जरूरी हुआ तो फिर लंबे रास्ते से वह लोग शहर जाते थे, लेकिन उस पुल से रात को भूलकर भी नहीं गुजरते थे। गाँव के लोग सुबह होने के बाद ही पुल का इस्तेमाल करते थे। रात होने के बाद लोग अपने घरो की छट से भी उस पुल की तरफ नहीं देखते थे। एक बार गाँव का एक लड़का संतोष, अपने दूर के मामा के लड़के को रात के समय छत से नदी मे बने पुल को दिखाते हुये उसकी कहानी सुना रहा था। अगली सुबह उसके बिस्तर मे उसके कपड़ो के अलावा कुछ नहीं मिला। इस कहानी को 40 वर्ष हो गए हैं, लेकिन संतोष का कोई पता नहीं चला। इस घटना के बाद अब रात को कोई भी गाँव वाला भूलकर भी नदी की तरफ नहीं देखता हैं।

उस सइकिल वाले भूत का डर गाँव वाले के मन मे और ज्यादा व्याप्त हो गया, जब गाँव मे एक और डरावनी और रहस्यमयी घटना घाटी।

गाँव वालों के अनुसार गाँव में एक हिजड़ा आता रहता था, और वह हिजड़ा अपनी बददुआओं के लिए मशहूर था। लोगो के अंदर यह अंधविशास फैला हुआ था की हिजड़ा अगर बददुआ देगा तो वह सच साबित हो जाएगी। इसलिए हिजड़ा लोगो के इस डर का फायदा उठा कर त्योहार, शादी और बच्चो के जन्म पर आकार लोगो से बड़ी रकम वसूलता था। कुछ लोगो के लिए तो वह रकम बहुत मायने नहीं रखती थी, लेकिन बहुत से लोगो के लिए वह पैसा बहुत ही जरूरी होता था, बड़े परिश्रम से उन लोगो ने जो पैसे कमाए, उन्हे वो हिजड़ा बददुआओं का डर दिखा कर लूट ले जाता था। एक दिन वह गाँव वालो को बददुआओं का डर दिखा कर खूब पैसे लूटे, और उसे शहर जाने मे देर हो गई, उसने सारा पैसा गाँव के ही अपने साथी को देकर, रात 10 बजे शहर की ओर जाने लगा। शहर जाने के लिए उसे उस पुल से होकर गुजरना पड़ा।

See also  भोपाल के डरावनी जगहे - जानकार रह जाएंगे दंग

लेकिन उस रात, जब वह पुल पर पहुंचा, तो साइकिल वाले भूत ने उसे अपना निशाना बना लिया। भूत ने उसके शरीर में प्रवेश कर लिया और फिर वह हिजड़ा एक हफ्ते तक नदी के किनारे पर पागलो की तरह नाचता रहा, कभी वह नदी के इस किनारे तो कभी वह नदी की उस किनारे नाचता हुआ दिखाई देता। पागलो की तरह अस्त व्यस्त हफ्ते भर वह नाचता रहा।

गाँव के लोग उसे देखकर डर गए, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उसे रोके। आखिरकार, जब भूत ने उसका शरीर छोड़ा, तो वह हिजड़ा बेहद पतला, दुर्बल और कमजोर हो चुका था, जैसे उसकी सारी ताकत और जीवन ऊर्जा को भूत ने चूस लिया हो। हिजड़ा जो कभी दूसरों को बददुआओं से डराता था, और लोगो की मेहनत की कमाई को चूस लेता था, अब उस साइकिल वाले भूत ने उसके शरीर की शारी ऊर्जा को चूस लिया था। वह 30 साल का हिजड़ा अब 50 वर्ष की उम्र का दिखने लगा था। वह हिजड़ा गाँव से कहीं दूर चला गया, और किसी ने फिर कभी उसे नहीं देखा।

इस घटना के बाद गाँव के लोग उस साइकिल वाले भूत से और डरने लगे थे। लोगो का मानना था कि भूत अब पहले से भी ज़्यादा ताकतवर हो चुका है। वह अब केवल डराता नहीं, बल्कि लोगों की आत्मा तक पर कब्जा कर लेता है। हर शाम जब रात अपनी चरम पर होता है, तब वह भूत अपनी पुरानी साइकल पर सवार होकर उस पुल के आस-पास भटकता है, जिससे की उसे कोई नया शिकार मिल सके। यह गाँव आजादी के समय से ही वामपंथी विचारधारा को मानते थे, इसलिए उन्होने धर्म को बहुत नहीं मानते थे। लेकिन जैसे जैसे साइकिल वाले भूत की शक्तियाँ बढ्ने लगी, तो लोग फिर सनातन धर्म की तरफ आकर्षित होने लगे। दूसरे गाँव से पंडित को बुलाया गया, इसके बाद पुल के पास ही एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया। पंडित रात को मंदिर में ही रहता और पूरे पुल के आसपास के क्षेत्र में हनुमान चालीसा पढ़ता और गंगाजल का छिडकाव करता जाता।

See also  भूत की कहानी - जंगल की वो रात

अब गाँव के लोगो का कहना हैं की जब से मंदिर बनी हैं, तब से अब वहाँ पर उस साइकिल वाले भूत का प्रभाव कम हो गया हैं।

दोस्तो प्रेम से बोलो जय बजरंग बलि, कष्टहर्ता हनुमान जी स्वामी की जय हो

नोट : इस कहानी को लोगो के द्वारा सुनी हैं, इस कहानी की सत्यता की पुष्टि हमारी वैबसाइट नहीं करती हैं। हमने इस कहानी को ट्रेन मे किसी सज्जन से सुना था और मनोरंजन की दृष्टि से इसे इस वैबसाइट में प्रकाशित किया हैं। हम किसी भी प्रकार की अंधविश्वास की धारणा को प्रोत्साहित नहीं करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *