भूतिया कहानी - पेड़ में रहने वाला भूतियाँ परिवार

भूतिया कहानी – पेड़ में रहने वाला भूतियाँ परिवार

फकौली के छोटे से भूले-बिसरे शहर में रेलवे स्टेशन के पास एक बहुत पुराना, टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ था। शहर के लोग उससे दूर रहते थे, और उसकी प्राचीन शाखाओं में रहने वाले भूतों के बारे में फुसफुसाते रहते थे। यह पेड़ बहुत पहले के समय से यहाँ पर था, उस शहर के पुराने से पुराने व्यक्ति ने भी अपने बचपन से ही इस पेड़ को देखते आ रहे हैं। शहर के डेंड्रोकोलोजिस्ट (पेड़ का अध्यन करने वाले) के अनुसार इस पेड़ की उम्र 2000 वर्ष से भी अधिक थी।

फकौली में नई-नई आई एक महिला पुष्पा हमेशा से अलौकिक चीजों में दिलचस्पी रखती थी। वह स्थानीय पुस्तकालय में काम करती थी, जिससे उसे शहर के इतिहास को जानने का भरपूर समय मिलता था। एक शाम, जब वह धूल भरी किताबों को पढ़ रही थी, तो उसे पुराने पेड़ के बारे में एक रोचक लेकिन पुरानी कहानी मिली। कहानी के अनुसार, एक परिवार था जो की फकौली में ही रहा करता था, उनका घर रेलवे स्टेशन की जगह पर ही था। उस समय वहाँ पर रेलवे स्टेशन नहीं थी, सिर्फ उन लोगो का घर और वह विशाल प्रचीन पेड़ ही था। उस परिवार के साथ घटना हुई, जिसमे उनका घर पूरी तरह से जल गया लेकिन उस विशाल आग में वह पेड़ बच गया जो की घर के बगल में ही स्थित था। तब से, परिवार की आत्माएँ पेड़ पर भटकती हैं, और अपनी असामयिक मृत्यु पर शोक मनाती हैं।

इस कहानी को पढ़ कर पुष्पा के तन-मन मे एक अलग ही तरह का रोमांच और उत्सुकता का जन्म हुआ, पुष्पा अब उस पुराने पेड़ के बारे मे और जानना चाहती थी। इसलिए पुष्पा ने उस पुराने पेड़ की जांच करने का फैसला किया। वह शाम के समय पेड़ पर गई, जब स्टेशन पूरी तरह से सुनसान था। उसके आस-पास की हवा अस्वाभाविक रूप से ठंडी थी। पुष्पा ने अपने बैग से अपना कैमरा निकाला और उस पेड़ के अलौकिकता को कैद करने की उम्मीद में तस्वीरें लेना शुरू कर दिया।

See also  सीधी जिले के पहाड़ी का वह भूतिया खंडहर | Bhoot ki kahani bhutiya khandahar

घर में जब वह तस्वीरों की समीक्षा कर रही थी तो उसने तस्वीरों में कुछ अजीब देखा। एक तस्वीर में उसने बैकग्राउंड में कुछ धुंधली आकृतियाँ देखीं, यह आकृतियाँ इंसानी चेहरो की थी जो की उसे घूर रहे थे। पुष्पा यह देख कर घबरा गई, पर पुष्पा एक सख्त जान थी, इसलिए उसने बड़े ही दृढ़ निश्चय के साथ,  उस पेड़ को जानने के बारे में उसने अपनी खोज जारी रखने का निचशय किया। अब पुष्पा का उत्साह और बढ़ गया, हवाह अंदर ही अंदर डरी भी हुई थी।

एक रात, वह एक वॉइस रिकॉर्डर लेकर आई और पेड़ मे रहने वाले भूतो से जवाब की उम्मीद में उसने कुछ सवाल पूछे। अचानक एक कराहती, लेकिन भारी आवाज सुनाई दी जो की काफी ठंडी आवाज थी- “हमारी मदद करो।”

पुष्पा ने जब वह आवाज सुनी तो उसके दिल धक हो गया, एक पल के लिए उसका दिल रुक सा गया था, उसे पसीने आने लगे। उसके आश्चर्य की सीमा ही नहीं थी, उसके अंदर डर और उत्सुकता का मिश्रित भाव था। पेड़ से आने वाली जब दुबारा आई तब समझ में आया की आवाज क्या कह रही हैं।

पुष्पा रोमांचित और भयभीत दोनों थी। उसे और जानने की ज़रूरत थी। वे जानना चाहती थी की वह मर चुका परिवार अभी भी इस पेड़ मे क्यो रुके हुये थे? पुष्पा उनकी मदद करना चाह रही थी। लेकिन लाख प्रयास करने के बाद भी दुबारा कोई आवाज नहीं आई।

पुष्पा ने हफ़्तों तक अपनी खोजबीन जारी रखा, खोजबीन के बाद, पुष्पा को लाइब्रेरी के अभिलेखागार में एक पुरानी पत्रिका मिली। पत्रिका में पेड़ में रहने वाले भूतिया परिवार के बारे में छपा था। इस परिवार का मुखिया माधव था। यह मैगजीन आग लगने के कुछ दिन बाद ही छपी थी। जो की घर में आग लगने के बारे कई जनकारियों को स्पष्ट करता हैं। आग कोई दुर्घटना नहीं थी। माधव ने पाया था कि शहर के मेयर, रेलवे के लिए परिवार की जमीन हासिल करने के लिए बेताब था, इसलिए मेयर के गुंडो के द्वारा माधव के घर में जानबूझकर आग लगाई थी।

See also  भूत की डरावनी कहानी - भूतिया पेड़

इस जानकारी का पता चलने के बाद पुष्पा देर रात 12 बाजे के बाद पेड़ के पास वापस आ गई। इस बार, आत्माएं अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई दीं, उनके चेहरे पर उदासी झलक रही थी। पुष्पा ने उन्हे सारा रहस्य बताया, उन आत्माओ के धुंधले दिख रहे चहरे में एक कृतघ्यता का भाव दिख रहा था, इसटे वर्षो से जिस जवाब को पाने के लिए वो आत्मा उस पेड़ पर रह रही तो वो जवाब इतने वर्षो बाद पुष्पा के द्वारा जान कर, पुष्पा के प्रति उन आत्माओ के चेहरे मे एक संतुष्टि का भाव भी दिख रहा था।

पुष्पा अब वहाँ से जाने के लिए मुड़ी और घर की दिशा में आगे बढ़ने लगी, तभी उसे अचानक ठंड का एहसास हुआ। तापमान गिर गया, और उसने महसूस किया कि वह हिल नहीं सकती। भूतिया परिवार ने उसे घेर लिया, उनके भाव दुख से बदल कर अब बदले और गुस्से के हो गए थे।

“हम नहीं जा सकते,” माधव की आत्मा ने कहा। “हमें अपनी खोई हुई जिंदगी वापस चाहिए, और इसके लिए हमे एक जीवित आत्मा की आवश्यकता है।”

पुष्पा के अंदर घबराहट फैल गई क्योंकि वह उनके इरादे को समझ गई थी। उसने संघर्ष किया, लेकिन भूतिया हाथों ने उसे कसकर पकड़ रखा था। जैसे-जैसे उसके शरीर से प्राण निकल रहे थे, उसकी दृष्टि धुंधली होती जा रही थी, और अंतिम में वह हार गई, और उसके शरीर में अब उस भूतिया परिवार का कब्जा हो चुका था।

वह भूतिया परिवार कई वर्षो से पेड़ के पास आने वाले लोगो को अपना शिकार बनाता हैं, उस परिवार के सभी सदस्य एक एक करके शरीर का उपयोग करते थे। और कुछ महीनो मे उस शरीर को छोड़ देते थे। फकौली एक रहस्य मय जगह थी, जहां कई वर्षो के बेजान लाशे मिलती आई थी। अगर पुष्पा पुस्तकालय में इन खबरों को भी पढ़ती तो शायद वह उस पेड़ से दूर रहती और शायद आज जिंदा होती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *