हमारे एक परिचय के बुजुर्ग बाबा थे जिनकी उम्र 92 वर्ष थी। उन्होने एक दिन यह bhoot ki kahani सुनाई थी। मैं उनके साथ बैठे उनसे बातचीत कर रहा था। तभी हमारी बातचीत का मुद्दा अचानक भूत प्रेत में बदल गया और भूत प्रेत से संबंधित बातचीत चालू हो गई।
उन्होंने एक किस्सा सुनाया, यह किस्सा काफी पुराना है। उस समय नए बस स्टैंड की जगह चूने का भटका हुआ करता था। एक बार बाबाजी जब वह अधेड़ उम्र में थे और उनकी उम्र 38 वर्ष थी। किसी काम से चुना भट्टा में रात को 2:00 बजे एक बस का इंतजार कर रहे थे। उनका एक परिचित बनारस से आ रहा था तो उसे ही लेने को चुना भट्टा आए हुए थे। बस अभी आई नहीं थी और बाबाजी अकेले ही उन्हें लेने आ गए थे। यहां आने पर उन्होने महसूस किया की यहाँ पर एकदम सन्नाटा था, काफी देर में एक या दो गाड़ियां ही निकल रही थी।
बाबाजी ने आगे बताया की अचानक उन्हें ठंड महसूस होने लगी। पास में ही एक बरगद का विशाल वृक्ष था। उसकी पत्तियां तेज-तेज से हिलने लगी। उन्होंने आसपास देखा तो पाया की ज्यादातर पेड़ों की पत्तियां नहीं हिल रही हैं और ना ही कोई हवा बह रही थी। फिर भी बरगद की पत्तियां हिल रही थी. जैसे मानो हवा चल रही हो और बाबा जी को ठंड भी महसूस होने लगी थी।
बाबा जी का ध्यान अब धीरे-धीरे भूत-प्रेत की ओर जाने लगा, उन्हें महसूस हुआ कि रात को 2:00 बजे हुए हैं और चूना भट्टा में एक सर कटा भूत बहुत विख्यात है, जो यहां से आने जाने वालों को बहुत परेशान करता है।
बाबा जी ने आगे बताया की जब मुझे उस भूत का किस्सा याद आया तो मुझे अब डर लगने लगा। मैं अगल-बगल देखने लगा, तभी मुझे दूर पर एक आदमी के खड़े होने का आभास हुआ लेकिन उस आदमी की आकृति में सिर वाला हिस्सा गायब था।
बाबाजी के रोम-रोम में सिरहन दौड़ गई और वह समझ गए कि यह वही सिर कटा भूत है और जैसे ही वह उस भूत के बारे में सोच रहे थे, वह आकृति अचानक से पास आने लगी बाबाजी तुरंत वहां से भाग खड़े हुये। इस दौरान आसपास के पेड़ जोर-जोर से हिलने लगे और ऐसा लगा, जैसे वह सभी पेड़ हंस रहे हो, यह देख बाबाजी पूरी ताकत से भागने लगे।
वो जितना भागने का प्रयास करते लेकिन वह बहुत तेज नहीं भाग पा रहे थे और वह सिर कटा भूत लगातार पास आता जा रहा था।
तभी एक बस आई और बाबा जी के सामने ही रुक गई। उस बस से बाबाजी का परिचित भी उतरा, परिचित को देखकर बाबा जी को राहत मिली, उन्होंने पलटकर सिर कटे भूत की ओर देखा तो अब वह वहां पर नहीं था।
बस में हनुमान जी की तस्वीर थी, शायद इसीलिए वह वहां से गायब हो गया था। उन्होंने गौर से देखा तो उनके परिचित के गले में भी हनुमान जी का लॉकेट टंगा हुआ था। बाबाजी और उनका परिचित अब घर की ओर जाने लगे इस दौरान उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई।
बाबा जी समझ गए कि यह सब हनुमान जी की कृपा से हुआ है, अगर हनुमान जी ना होते तो आज निश्चित वह सिर कटा भूत मेरे प्राण ले लेता। इसके बाद चुना भट्टा में उन बाबा जी ने हनुमान जी की स्थापना की और धीरे-धीरे वहां पर लोग हनुमान जी की पूजा करने लगे और जब से हनुमान जी वहां पर विराजमान हुए हैं। तब से वहां पर किसी भी भूत प्रेत की छाया किसी ने भी नहीं देखी।
इसीलिए दोस्तों गले में हनुमान जी का लॉकेट जरूर पहनो।
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