एक जंगल में एक बंदर रहता था। उस बंदर का नाम पप्पू था। पप्पू नाम का वह बंदर बहुत शरारती था। वह बहुत ही झूठ बोला करता था। एक दिन की बात है कि वह बंदर नदी में नहाने गया था। वहां पर उसे भालू मिला, लॉक डाउन की वजह से भालू की नौकरी चली गई थी। इसलिए भालू को किसी ने बताया था कि बंदर की पहचान जंगल के राजा शेर सिंह से है।
इसलिए भालू बंदर के पास आया था की बंदर भालू की सिफारिश जंगल के राजा से कर दे जिससे उसे जंगल में की नौकरी मिल जाए। बंदर पूरे जंगल में अपनी लंबी-लंबी बातें फेंका करता था। इसलिए सब बंदर को पहुंचा हुआ व्यक्ति मानते थे।
भालू बड़ी आशा से बंदर के पास गया था, बंदर ने भालू को विश्वास दिलाया कि वह उसे नौकरी जरूर दिलाएगा। नौकरी की लालच में भालू ने रिश्वत के रूप में बंदर को ₹5000 भी दिए। समय बीतता गया, भालू नौकरी के बुलावे के लिए इंतजार करता रहा, लेकिन महीने दर महीने बीतने लगे तो भालू का सब्र टूट गया और वह बंदर के पास फिर से गया। बंदर अपने कार्यालय में बैठा हुआ, दूसरे जानवरों से घिरा हुआ था। जंगल के जानवर, बंदर के पास कोई ना कोई सिफारिश लेकर हमेशा आया करते थे। बंदर उनका काम करवाने के बदले में उनसे पैसे ले लिया करता था।
भालू जब वहां गया तो उसे पता चला की बंदर ने और भी जानवरों को उनके काम कराने के लिए सहमति दे रखी है, परंतु अभी तक किसी का भी काम नहीं किया है। भालू ने बंदर से बोला की पप्पू भाई तुम मेरी नौकरी लगवा आओगे कि नहीं लगाओगे, 6 महीने बीत गए मैं नौकरी की आस में कोई दूसरी नौकरी भी नहीं खोजा। घर की हालत बहुत खराब हो गई है, अगर मैं 1 महीने के अंदर नौकरी नहीं खोज पाया तो हमारे खाने पीने के लाले पड़ जाएंगे। बंदर बड़ी ही बेफिक्री के साथ कहां है अरे देखते नहीं हो कितने लोग अपना काम करवाने के लिए मेरे पास आते रहते हैं। इतना काम है कि ध्यान ही नहीं रहता कि किसका कौन सा काम करवाना है।
तुम्हारी नौकरी की बात मुझे याद है लेकिन अभी राजा साहब बहुत बिजी है इसलिए उनसे अभी बात नहीं हो पा रही है। तुम सब्र रखो जल्दी तुम्हारा काम हो जाएगा।
भालू मुंह लटकाए हुए वापस आ गया, और बंदर के द्वारा दिये दिलसे को सही मान कर भालू इंतजार करने लगा। लेकिन फिर महीना बीत गया लेकिन कोई भी नौकरी की खबर भालू को नहीं मिली।
एक दिन दुखी होकर भालू रामू नाम के खरगोश के होटल में बैठा हुआ था। खरगोश ने उसे उदास बैठा हुआ देख तो उससे दुखी होने का कारण पूछा। तो भालू ने अपना सारा दुखड़ा खरगोश को बता दिया। खरगोश ने भालू को बताया कि बंदर एक नंबर का झूठा जानवर है वह इस जंगल के सभी जानवरों से पैसे लूटता है और दूसरे जंगल में जाकर मौज मस्ती करता है। राजा शेर सिंह उस बंदर को नहीं जानते हैं, मैं कई बार अपने होटल के बने मीठे और स्वादिष्ट व्यंजन को लेकर राजा को भेंट करने जाता हूं। राजा और मेरी कई बार जंगल के विषय पर चर्चा होती है। मैंने राजा से पप्पू बंदर के बारे में पूछा था, तब उन्होंने बताया कि वह पप्पू बंदर को नहीं जानते हैं।
मैंने जंगल के सेनापति बब्बन हाथी को बंदर के कपट के बारे में शिकायत की तो बहुत समय तक बंदर जंगल से दूर चला गया था। पिछले 2 साल से वह वापस आ गया है और फिर से अपने झूठ फरेब के चालचलन को चालू कर दिया है।
इसलिए तुम उस बंदर के चक्कर में मत पड़ो एक नंबर का झूठा है। तो यह सुनकर भालू बहुत दुखी हुआ और उसने पूछा कि अब मैं क्या करूं मेरे पास कोई आमदनी का जरिया नहीं है और मेरे घर की हालात बहुत ही खराब है।
यह सुनकर खरगोश ने अपने होटल में भालू को नौकरी दे दी। तभी उसी समय जंगल के राजा शेर सिंह भटकते हुए रामू खरगोश के होटल आए और उन्होंने खरगोश को देखकर खुश होते हुए कहा कि बहुत दिनों से तुम्हारे हाथ के बने गाजर के हलवे नहीं खाए हैं तो सोचा क्यों ना आज स्वयं तुम्हारे यहां चल कर आता हूं और तुम्हारे हाथ के बने मीठे गाजर के हलवे खाता हूं।
उसी समय रामू खरगोश में भालू की पूरी कहानी राजा शेर सिंह को बता दी। शेर सिंह बहुत दुखी हुए कि एक बंदर है जो उनके नाम से पूरे जंगल के जानवरों को ठग रहा है। उन्होंने साथ आए सेनापति बब्बन हाथी को आदेश दिया की बंदर को पकड़कर उसे आजीवन कारावास में डाल दिया जाए।
इस प्रकार वह झूठा पप्पू नाम का बंदर जीवन भर जेल में रहा और अपने झूठ बोलने की आदत की वजह से अपना सारा जीवन जेल में ही बिताया।
शिक्षा – कभी भी झूठ बोलकर किसी को नहीं ठगना चाहिए पता नहीं कब हमारे इन कर्मों का फल हमें मिल जाए