गोरा नाम के गांव में एक विधवा स्त्री रहती थी। उसका नाम गोमती था। उसकी सुंदरी नाम की एक बेटी थी। वह जन्म से ही गोरी-चिट्टी और सुंदर थी। जब वह बड़ी हुई, तो उसकी शादी के लिए दूर-दूर से जाने-माने रईसों के रिश्ते आने लगे। सुंदरी जिस रिश्ते के लिए राजी हुई, उसकी मां ने उसी रिश्ते के लिए हामी भर दी।
जिस दिन सुंदरी का शगुन चढ़ा, गोमती को उसी रात सपने में एक खतरनाक सांप दिखाई दिया, अब तो हर रात सपने में यही होता। वह नाग फन फैलाकर डँसने के बजाय, उसके पैरों में अपना फन रखता।
फिर उसे उसका वचन याद कराता, गोमती पसीना पसीना होकर डरी डरी सी उठ बैठती। मां की यह हाल देख कर सुंदरी मां से उसका हाल पूछती तो गोमती बहाना बना दिया करती। लेकिन सुंदरी के ब्याह के दिन जैसे-जैसे नजदीक आने लगे, गोमती उस नाग के डर से पीली पड़ने लगी। आखिरकार शादी का वह दिन आ ही गया, उसके एक रात पहले गोमती को उस सांप का सपना फिर आया, सपने में सांप चेतावनी दे रहा था की यदि सुंदरी का ब्याह किसी और से हुआ तो मैं सुंदरी को शादी से पहले ही डस लूंगा।
अब तो गोमती और भी डर गई, उसे एक पुरानी बात याद आ गई। असल में सुंदरी जब गर्भ में थी, तो गोमती को इमली खाने का लत लगा हुआ था। आए दिन वह नदी के किनारे लगे हुए इमली के पेड़ से इमली को तोड़ कर ले आया करती थी। एक दिन जब गोमती इमली तोड़ने गई तो एक सांप उसके पैरों में कुंडली बनाकर लिपट गया। वह भयभीत होकर वही जमीन पर गिर पड़ी। शाम का समय था, दूर दूर तक उसे बचाने वाला कोई नहीं था। वह सांप मनुष्य के स्वर में बोलने लगा- ” मां डर मत! मैं तुझे डसुंगा नहीं, तू बस मुझे यही वचन दे, की तेरी जो कन्या होगी, तू मेरा ब्याह उससे कराएगी।”
गोमती बेचारी मरती क्या ना करती। वह अपनी जान बचाने के लिए उस साँप की शर्त को मान लिया। और उससे अपनी होने वाली बेटी का ब्याह करने का वचन दे दिया। 3 महीने बीतने के बाद जब गोमती ने सुंदरी को जन्म दिया तो वह सांप फिर गोमती के पास आया और उसे उसका वचन याद दिलाया। दिन बीतते गए और सुंदरी 15 साल की हो गई, वह बहुत ही निडर थी, जैसे उसके पिता रघुनाथ, एक निडर सैनिक थे। सुंदरी अपने पिता के साथ नदी में तैरा करती थी, इस दौरान वह सांप भी सुंदरी के साथ पानी में तैरता रहता था। परंतु उसने कभी भी सुंदरी को काटने का प्रयास नहीं किया।
उस सांप से सुंदरी को भी डर नहीं लगता था। लेकिन पिछले साल सुंदरी के पिता गुजर गए। पिछले साल मूसलाधार बरसात की वजह से नदी में भीषण बाढ़ आई। उस बाढ़ में रघुनाथ ने कई लोगों की जान बचाई, किंतु खुद प्रचंड नदी के प्रभाव में समा गए। गांव वाले रघुनाथ के उस परोपकार को नहीं भूले थे। सब उसकी बेटी की शादी में बढ़-चढ़कर हाथ बटाने की होड़ में लगे हुए थे।
रघुनाथ के ना रहने पर गोमती ने नदी किनारे के खेत की देखभाल गांव के दूसरे किसान को दे रखे थे। वह स्वयं ना तो कभी उधर जाती थी और ना ही सुंदरी को जाने देती थी। उनके खेतों और बगीचों की फसल की आमदनी आधी रह गई थी। फिर भी वह सुंदरी के हाथ पीले करने के लिए एक-एक पैसा बचाकर रखती थी।
इन दिनों गोमती, सुंदरी की देखरेख में बेहद सतर्क थी। उसकी लगन हो जाने के बाद भी वह उसे कभी अपनी आंखों से ओझल ना होने देती थी। सब कुछ ठीक होने की प्रार्थना देवी देवताओं से करती रहती थी। कई प्रकार की मनौतीया उसने मांग रखी थी। शाम को बरात आने वाली थी, तमाम रिश्ते नातेदारो से घर भर गया था। लेकिन सुबह ही बिना बताए सुंदरी अपनी दो सहेलियों के साथ कुछ ही दूर नदी तट के अपने खेतों की तरफ निकल गई। गोमती उस समय गांव से दूध लेने गई थी।
गोमती जब घर लौटे, तो पता चला कि सुंदरी अब तक नहीं लौटी है। यह सुनकर गोमती चीख-पुकार मचाती हुई उल्टे पांव नदी की ओर दौड़ पड़ी। गांव के तमाम लोग उस दुखिया मां की गुहार पर उसके पीछे दौड़ते भागते जब नदी के किनारे पहुंचे, तो वहां विचित्र सा दृश्य था। एक काला भुजंग सुंदरी के गले से लिपटा हुआ था। सुंदरी अपने बचाव के लिए चीख-पुकार रही थी। गोमती रोती हुई केवल यही कह रही थी – ” सुंदरी बेटी, क्या करूं, तेरी मां ने इमली के बदले कसम खाई थी”
कई साहसी तैराक नदी में कूदे भी, लेकिन उस भयानक सांप की फुकार से डरकर वह सुंदरी तक नहीं पहुंच पाए। नदी के इस पार भीषण कोहराम मचा हुआ था। सांप, सुंदरी को मझधार के गहरे पानी में खींचे ले जा रहा था। देखते ही देखते सुंदरी उस नदी के गहरे पानी में डूब गई। लेकिन अचानक एक सुंदर सा लड़का, सुंदरी को पानी से खींचकर बाहर ले आया।
नजदीक आने पर लोगों ने ध्यान से देखा की सुंदरी के गले में लिपटा हुआ वह सांप, कहीं अदृश्य हो गया था। घाट पर पहुंचते ही कुछ लोग सुंदरी को होश में लाने का उपचार करने लगे। कुछ लोग हैरान थे कि वह अजनबी युवक कौन था? उस गहरे पानी में अचानक वह कहां से आया? किसी ने भी उसे नदी में कूदते हुए नहीं देखा।
लोगों ने गोमती को उठाया, जो कि बेहोश होकर जमीन में गिर गई थी। उसे बताया कि सुंदरी जिंदा है। गोमती को होश आया तो वह दौड़कर सुंदरी के पास गई। और सुंदरी को झकझोरने लगी, सुंदरी को होश में लाने लगी। सुंदरी भी अब होश में आ गई, तब गांव वालों ने गांव की कुलदेवी का जयकारा करने लगे। सुंदरी की जान बचाने वाले युवक को कुछ नौजवानों ने अपने कंधे में बैठा लिया, और उसका जय कार करने लगे। हालांकि उस युवक को देखकर सभी हैरान थे, वह एक अजनबी युवक था। जो अचानक से नदी में सुंदरी को बचाते हुए बाहर आया था। लोगों ने उससे पूछा की तुम कौन हो?
तब उस युवक ने गांव वालों को बताया की- ” मैं एक तपस्वी के श्राप से सांप के रूप में बन गया था, आज मैं उस श्राप से मुक्त हुआ हूं। बहुत समय पहले मैं एक जंगल में अपने दो साथियों के साथ शिकार पर गया था। एक बूढ़ा तपस्वी वहां एक वट वृक्ष के नीचे तपस्या कर रहा था। पशु पक्षियों के हाहाकार से जैसे ही उसके नेत्र खुले, मैं उसके सामने ही था। मेरा तीर जिस हिरण को लगा, वह उस तपस्वी के पास ही दम तोड़ रहा था। “
” तपस्वी ने क्रोध में मुझे श्राप दे दिया, उस तपस्वी ने कहा कि मैं बेजुबान प्राणियों का वध कर रहा हूं जबकि प्रकृति ने खाने के लिए फल-फूल, साग-सब्जी और अनाज के भंडार दिए हैं। उस तपस्वी ने मुझे मानव का सबसे बड़ा कलंक कहा था। मैं उस तपस्वी के पैरों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा। तब उन्होंने श्राप से मुक्त होने के लिए मुझे उपाय बताया। की मेरी पूर्व पत्नी जब एक युवती के रूप में मेरे पास आएगी और मैं उसे जैसे ही स्पर्श करूंगा, मैं श्राप मुक्त हो जाऊंगा। यह सुंदरी नाम की युवती और कोई नहीं मेरे पूर्व जन्म की पत्नी है। और इसके स्पर्श से ही मैं श्राप मुक्त हुआ हूं। “
यह सुनकर गांव वालों ने उन दोनों की शादी करा दी। और वह दोनों उसी गांव में रहकर हंसी खुशी के साथ अपना जीवन सुख में व्यतीत करने लगे।