एक गाँव मे एक विधवा रहती थी। उसकी दो बेटियाँ थी। पूनम और पूजा उनका नाम था। पूनम बहुत ही लड़ाकू लड़की थी। वह काम-धाम से जी चुराया करती थी। जबकि पूजा भोली और मेहनती लड़की थी। पूजा सारा दिन काम मे जुटी रहती थी।
फिर भी वह बूढ़ी माँ अपनी बेटी पूनम का ही पक्ष लेती। पूनम को वो बहुत माना करती थी। इसलिए उससे कोई काम नहीं करवाती थी। घर के सारे काम पूजा को ही करना होता था।
एक बार पूजा पानी भरने कुए मे गई, वहाँ उसने एक बुढ़िया को बैठे देखा। उस बुढ़िया ने पूजा को देख गिड़गिड़ा कर बोली – “बेटी! थोड़ा पानी तो पीला दे। प्यास से मेरे प्राण निकले जा रहे हैं।“
पूजा ने बुढ़िया पर दया खाते हुये कहा- “जरूर पिलाऊँगी दादी!” और उस बूढ़ी औरत को उसने पानी पिलाया। ठंडा पानी पी कर बुढ़िया ने पूजा को खूब आशीर्वाद दिया।
कुछ दिन बाद पूजा की माँ पूजा से नाराज हो गई। उसकी माँ ने पूजा को खूब पीटा और घर से बाहर निकाल दिया। बेचारी पूजा जाए तो कहाँ जाए? घर लौटने की हिम्मत नहीं हो रही थी। बाहर वो किसी को जानती नहीं थी। इसी उधेड़बुन मे वह रोती-रोती बस्ती से बाहर चली गई। चलते चलते दिन डूब गया और शाम हो गई थी। उसने देखा की बुढ़िया सामने खड़ी हुई हैं। उस बुढ़िया को देखते ही पूजा के मुह से निकल पड़ा – “अरे ये तो वही हैं, जिसे मैंने पानी पिलाया था। ”
बुढ़िया ने पूजा को देखा तो उसे पहचान गई और पूजा से पूछा की “बिटिया, तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
पूजा ने जवाब दिया- “मेरी माँ ने मुझे बहुत पीटा और घर से बाहर निकाल दिया हैं।”
बूढ़ी औरत ने आगे पूछ – “क्यो मारा तुम्हारी माँ ने?”
पूजा ने कहा- “क्योंकि माँ मुझे प्यार नहीं करती और जो काम करती हु उसमे गलती निकाल कर बड़ी बहन का पक्ष लेकर मुझे पीटती हैं।”
बूढ़ी औरत ने कहा- “तुम चिंता मत करो! मेरे साथ चलो, पर एक बात ध्यान रखना, मेरी किसी भी बात पर हँसना नहीं।” पूजा ने बूढ़ी औरत की बात सुनकर हाँ मे सिर हिला दिया और चुपचाप बूढ़ी औरत के साथ चल दी।
कुछ दूर चलते ही पूजा ने देखा की कुल्हाड़िया हवा मे लटक रही हैं और आपस मे लड़ रही हैं। कुछ और आंगे बढ्ने पर उसे दिखाई दिया की दो हाथ भी हवा मे लटक रहे हैं और आपस मे लड़ रहे हैं। फिर लड़ते हुये उसे दो पैर और दो सिर भी दिखाई दिये।
सामने एक कुटियाँ दिखाई दी, पूजा और वह बूढ़ी औरत उस कुटियाँ के अंदर चली गई। बूढ़ी औरत कुर्सी पर बैठ गई और पूजा को बताया की रसोई मे बर्तन रखे हुये हैं, जा कर खाना बना लो, सुबह से मैं भूखी हूँ और तुम भी भूखी होगी।
पूजा जैसे ही रसोई की ओर जाने लगी, बुढ़िया ने अपना सिर अपने हाथो से उठाया और अपने पैर के पास रख दिया। पूजा ने बिना सिर वाली बुढ़िया को देखा तो उसे आश्चर्य हुआ। फिर भी वह चुप रही, कुछ देर बाद बुढ़िया ने सिर उठाकर फिर से धड़ पर रख लिया और पहले की तरह दिखने लगी।
चावल का एक दाना पूजा की ओर बढ़ाते हुये बुढ़िया ने पूजा से कहा की – “ये लो चावल का दना और इसे पतीले मे पकाने के लिए चढ़ा दो।”
पूजा ने बिना कुछ पुछे उस चावल के दाने को पतीले मे चढ़ा दिया, थोड़ी देर मे पूजा को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। क्योंकि जिस पतीले मे उसने चावल का एक दना डाल कर पका रही थी वह चावल से भर गया था।
दोनों ने पेट भर के खाना खाया और आराम से हो गए। सुबह होती ही बुढ़िया ने पूजा को कहा की – “अब तुम्हें घर जाना चाहिए, तुम बहुत ही अच्छी लड़की हो इसलिए मैं तुम्हें इनाम दूँगी। बुढ़िया ने उसे अंडे दिये, अंडे बोल रहे थे, बुढ़िया ने कहा की जो अंडे तुम्हारा नाम ले रहे हैं उन्हे उठा लो और जब तिराहे पर पहुचना तो इन्हे सड़क मे फेक कर फोड़ देना।”
पूजा ने उन अंडो को उठा लिया जो पूजा का नाम ले रहे थे। इसके बाद पूजा बुढ़िया से विदा लेकर घर की ओर चल दी। रास्ते मे उसे एक तिराहा मिला, वहां पर पूजा ने अंडे फेक कर फोड़ दिये, जैसा बुढ़िया ने बोला था। पूजा ने जैसे ही अंडे सड़क पर फेके, वो फूट गए और हीरे-मोती और सुंदर कपड़ो मे बदल गए। पूजा ने उन्हे उठा कर घर ले आई, पूजा के लाये हीरे-मोती और सुंदर कपड़ो को देख उसकी माँ बहुत खुश हुई, उसने अपनी प्यारी बेटी पूनम को भी कहा की –“तू भी जंगल जा और वहाँ से बहुमूल्य वस्तुए ले आ”
माँ के कहने अनुसार पूनम भी जंगल गई, वहाँ उसे बुढ़िया दिखी, पूनम ने बुढ़िया को बताया की उसकी माँ ने उसे घर से बाहर निकाल दिया हैं, बुढ़िया ने कहा की कोई बात नहीं आज रात तुम मेरे यहाँ रुक जाओ, कल घर चली जाना जब तक तुम्हारी माँ का गुस्सा भी कम हो जाएगा।
पूनम बुढ़िया के साथ उसके घर जाने लगी, बुढ़िया ने पूनम से कहा की घर पहुच कर तुम मेरी किसी भी बात पर मत हसना। लेकिन पूनम अपनी बहन से अलग थी, वह घमंडी थी, तथा अपने मन का ही कार्य करती थी। पूरे रास्ते उसने बुढ़िया का मज़ाक उड़ाया। तथा घर पहुच कर भी उसने बुढ़िया का मज़ाक उड़ाया। खाना बनाने से भी उसने माना कर दिया। बुढ़िया ने खाना बनाया और पूनम को खाना खिलाया और सोने से पहने बुढ़िया ने कहा की रात को अगर कोई आवाज दे तो दरवाजा मत खोलना, यह कह कर बुढ़िया सो गई।
आधी रात होते ही कोई का नाम लेकर पूनम को बुलाने लगा, पूनम ने देखा की बुढ़िया सो रही हैं , तो उसने चुपके से दरवाजा खोल दिया, दरवाजा खोलते ही उसकी चीख निकल गई, सामने भूत था, वह पूनम को लेकर गायब हो गया। पूनम कभी भी घर लौट कर नहीं आई।