अफ्रीका के एक पर्वत पर डायना नाम की परी रहती थी, कहते हैं उस परी के पास अमृत की कुछ बूंदे थी। यह परी इंद्र की सबसे प्यारी परी थी। और भगवान शंकर की प्रेरणा से वह अफ्रीका में रहती थी, पास ही कांगो नाम की नदी के निकट कुछ गांव थे। वहीं पर थॉमस नाम का एक गडरिया रहता था। वह गरीब किसानों की मदद करता था। गांव वाले थॉमस को बहुत मानते थे। थॉमस भगवान विष्णु का आनंद भक्त था। स्वर्ग में थॉमस अपने कर्मों की वजह से बहुत प्रसिद्ध हो गया था। स्वर्ग में कुछ असुरों को भी स्थान मिला हुआ था। वह थॉमस की लोकप्रियता से ईर्ष्या करने लगे।
उन्हें डर लगने लगा की थॉमस की मानवता और मदद करने की स्वभाव की वजह से उसे स्वर्ग में स्थान दे दिया जाएगा। और स्वर्ग में उसकी महत्ता बढ़ जाएगी और स्वर्ग में हमें कोई नहीं पूछेगा। यह सोच कर सभी असुरों ने यह निश्चय किया की वाह थॉमस को वर्ग नहीं आने देंगे, नहीं तो वह देवताओं का चहेता बन जाएगा।
असुरों ने योजना बनाई की थॉमस को एक ऐसी जड़ी सुधा देंगे जिससे वह कई दिनों तक बेहोश हो जाएगा। और जब वह जगेगा तो वह पहले जैसा सेवा भाव करने वाला थॉमस नहीं रहेगा, बल्कि लोगों को ठगने लगेगा, लोगों को उल्लू बनाया करेगा। एक असुर अफ्रीका के जंगल में जा पहुंचा, वही पास ही थॉमस आराम कर रहा था। उस असुर ने थॉमस को वह जादुई जड़ी बूटी सुंघाकर बेहोश कर दिया।
थॉमस बेहोश हो गया, थॉमस को बेहोश देख वह असुर भी वहां से चला गया। तभी वहां पर से गांव वाले गुजर रहे थे उन्होंने थॉमस को बेहोश देखा तो वह चौक गए। उन्होंने थॉमस को हिलाया और डुलाया पर थॉमस ने कोई हरकत नहीं की, तो गांव वालों को लगा की थॉमस मर गया है, वह लोग उसे वहीं पर छोड़ कर चले गए।
भगवान शंकर की डायना नाम की परी वहां से गुजरी तो उसने भी थॉमस को वहां पर बेहोश हालत में पाया। परी ने उसके बारे में बहुत कुछ सुना था। की कैसे थॉमस विष्णु भगवान की प्रेरणा से गरीब और लाचार लोगों की मदद करता है। तभी जंगल की कुछ पक्षियों ने डायना नाम की उस परी को घेर लिया। उन पक्षियों ने परी से कहा- ” आप इस बेचारे थॉमस को जिंदा कर दें, यह बहुत ही भला मनका आदमी है।”
डायना ने उन पक्षियों का कहना माना और अपना हाथ थॉमस के माथे पर रख दिया। और जैसे ही परी ने अपना हाथ थॉमस के माथे पर रखा थॉमस उठ कर बैठ गया। उसने परी का धन्यवाद दिया और अपनी घर की ओर चल दिया।
थॉमस जब घर पहुंचा, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। अब वह है पहले से भी ज्यादा परोपकार करने लगा। उसने बस्ती के बीच में भगवान विष्णु की मंदिर बनवा कर उनकी पूजा करता और पूजा पूरी होने के बाद वही लोगों को दान में पुण्य करता और जरूरतमंद की मदद करता।
जब यह बात डायना को पता चली तो वह बहुत खुश हुई। उसे लगा इस आदमी को सदैव जिंदा रहना चाहिए जिससे यह लोगों की मदद कर सके, यह भगवान शंकर का भेजा हुआ पुत्र है। जो लोगों को सही रास्ते दिखाने का काम कर रहा है। क्या सोच कर डायना नाम की उस परी ने अपने पास मौजूद अमृत की दो बूंद थॉमस नाम के उस व्यक्ति को पिला दी। अमृत की बूंद पीने के बाद थॉमस अमर हो गया।
यह hindi story एक भले इंसान की है जिसके साथ असुरों ने षड्यंत्र किया और उसकी मदद भगवान शंकर से प्रेरित एक परी ने की, यह hindi story आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं, और इस hindi story को अपने दोस्तों के साथ शेयर भी जरूर करें