एक दिन संता और बंता दोनों टैक्सी स्टैंड पर बैठे बातें कर रहे थे कि तभी एक विदेशी उनके पास पहुँचा और उनसे अंग्रेजी भाषा में कुछ पूछा। संता – बंता दोनों बेवकूफों की तरह उस विदेशी के चेहरे को देखते रहे।
विदेशी समझ गया कि दोनों को अंग्रेजी नहीं आती। अब उसने वही प्रश्न उनसे स्पेन की भाषा स्पेनिश में पूछा।
दोनों फिर बेवकूफों की तरह विदेशी का चेहरा देखते रहे।
तीसरी बार विदेशी ने वही प्रश्न उनसे रूस की भाषा रशियन में पूछा।
दोनों का वही हाल रहा।
चौथी बार विदेशी ने वही प्रश्न उनसे जर्मनी की भाषा जर्मन में पूछा।
दोनों फिर वैसे ही उसका चेहरा ताकते रहे।
आखिर तंग आकर विदेशी चला गया। उसके जाने के बाद बंता, संता से बोला, “यार संता, हम लोगों को भी अपनी भाषा के अलावा कोई दूसरी भाषा सीखनी चाहिए। हमारे काम आएगी।”
संता ने एक जोर का झापड़ बंता को लगाया और बोला, “साले, उसको चार चार आती थी, उसके कोई काम आई?”
विदेशी समझ गया कि दोनों को अंग्रेजी नहीं आती। अब उसने वही प्रश्न उनसे स्पेन की भाषा स्पेनिश में पूछा।
दोनों फिर बेवकूफों की तरह विदेशी का चेहरा देखते रहे।
तीसरी बार विदेशी ने वही प्रश्न उनसे रूस की भाषा रशियन में पूछा।
दोनों का वही हाल रहा।
चौथी बार विदेशी ने वही प्रश्न उनसे जर्मनी की भाषा जर्मन में पूछा।
दोनों फिर वैसे ही उसका चेहरा ताकते रहे।
आखिर तंग आकर विदेशी चला गया। उसके जाने के बाद बंता, संता से बोला, “यार संता, हम लोगों को भी अपनी भाषा के अलावा कोई दूसरी भाषा सीखनी चाहिए। हमारे काम आएगी।”
संता ने एक जोर का झापड़ बंता को लगाया और बोला, “साले, उसको चार चार आती थी, उसके कोई काम आई?”