परसोती लाल और उसके मूर्खता भरी कहानिया | Hindi Story of Parsotilal and His Foolish Act

परसोती लाल और उसके मूर्खता भरी कहानिया | Hindi Story of Parsotilal and His Foolish Act

यह एक काल्पनिक कहानियों का संग्रह है, इस कहानी का मुख्य पात्र परसोती है , जो भजनपुर के मूर्ख राजा बाबर के यहां, नौकरी करता था। परसोती अपने को बहुत होशियार समझता था, लेकिन होशियारी के चक्कर में वह गलतियां कर दिया करता था। और उन्हीं गलतियों की कहानी संग्रह यहां पर हम पढ़ेंगे। इस कहानी के पात्र काल्पनिक है। तथा इनका वास्तविकता से कोई नाता नहीं। तो आइए बिना देर किए पढ़ते हैं परसोती की मूर्खता पूर्ण कहानियां।

Hindi Kahani – परसोती लाल और उसकी यात्रा – कहानी नंबर -1

एक बार परसोती लाल तलवार, भाला, ढाल और कटार से सज्जित होकर यात्रा करने को चल पड़ा। रास्ते में डाकुओं ने परसोती लाल को घेर लिया और परसोती लाल को खूब पीटा, इसके बाद उसके कपड़े भी उतरवाकर अपने साथ ले गए। उसी हालत में परसोतीलाल रोते पीटते अपने घर वापस आ गया, लोगों ने उसे देखकर कहा- क्यों भाई परसोती तुम तो अस्त्र-शस्त्र के साथ गए थे, और तुम बता रहे हो की डाकू निहत्थे थे। फिर कैसे उन लोगों ने तुम्हारे साथ मारपीट की, तुम्हारे सारे अस्त्र छीन लिए और तुम्हारे पैसे भी लूट कर ले गए।

परसोती ने कहा- अरे भाई सभी के पास लाठियां थी, उन्होंने लाठियों से हमला किया था।

तो दोस्तों ने पूछा- तो तुमने मुकाबला क्यों नहीं किया, उनके लाठी के मुकाबले तुम्हारे पास भाला और तलवार था।

परसोती भड़कते हुए कहा तुम लोग भी गजब के मूर्ख लोग हो, मेरे एक हाथ में तलवार थी और दूसरे हाथ में भाला था। मेरा हाथ खाली नहीं था, तो मैं कैसे उनके साथ लड़ता, और अपने को बचाता। अगर मैं तलवार और भाले जमीन में रख देता, तो वह उसे भी छीन लेते और मुझ पर हमला करते। इसलिए मैंने तलवार और भाले अपने हाथ से नहीं छोड़े। और पीटा जाना मुझे उचित लगा।

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परसोती के मित्र यह सुनकर बेहोश हो गए, और कई वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी बेहोश ही है

(——कहानी समाप्त——-)


Hindi Kahani – परसोती और उसकी दो बीबियाँ- कहानी – 2

परसोती मूर्ख राजा बाबर के यहां मुलाजिम था, परसोती ने दो शादियां की थी, परसोती की दोनों बीवियां आपस में हमेशा झगड़ा करती रहती हैं, परसोती उनके लड़ाई झगड़े से परेशान हो चुका था। और वह उनके लड़ाई झगड़े को हमेशा के लिए खत्म करना चाहता था। एक दिन उसने मूर्ख राजा बाबर से पूछा, की वह कैसे अपने दोनों बीवियों के झगड़े को खत्म करें, तो उसके राजा ने कहा कि तुम अपनी बीवियों को चुपके से नीले पत्थर से जड़ी एक अंगूठी भेंट कर दो। और जब भी वह झगड़ा करें, और तुमसे पूछे कि तुम दोनों बीवियों में से सबसे ज्यादा किसे मानते हो, तो तुम बोल दिया करना कि जिसको मैंने नीले पत्थर वाली अंगूठी दी है, वह मेरी खास बेगम है।

परसोती , अपने अनपढ़ राजा की बातों में आकर, वैसा ही किया जैसा उसने कहा था। और जब-जब दोनों पत्नियों में लड़ाई होती, और वह परसोती से पूछते, की दोनों पत्नियों में से उसकी पसंदीदा पत्नी कौन सी है? तो परसोती बोल देता कि जिस पत्नी को मैंने नीले पत्थर वाली अंगूठी दी थी वही मेरी पसंदीदा पत्नी है। इसके बाद दोनों चुप हो जाया करते थे। परसोती अब खुश रहने लगा।

लेकिन, दोनों पत्नियों की कहासुनी गाहे-बगाहे होती रहती, एक दिन दोनों पत्नियों ने एक दूसरे को जलाने के लिए, वह नीले पत्थर वाली अंगूठी एक दूसरे को दिखा दी, और यह अंगूठी दोनों के पास ही थी। दोनों पत्नियां समझ गई की परसोती ने उन्हे उल्लू बनाया है।

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फिर क्या था दोनों पत्नियां परसोती का इंतजार करने लगी, जैसे ही परसोती घर आया, दोनों पत्नियों ने परसोती की खूब जम के पिटाई की। परसोती की अकल ठिकाने आ गई

(कहानी समाप्त)


Hindi Kahani- मूर्ख परसोती और उसका गुस्सैल अधिकारी – कहानी नंबर -3

परसोती लाल के नगर मे एक नया अधिकारी आया, भानपुर के मूर्ख राजा बाबर ने उसे चिड़ियाघर का अधिकारी बनाया था। परसोती को बुला कर मूर्ख राजा बाबर ने कहा की चिड़ियाघर जाकर नए अधिकारी से मिलो और उससे पुछो की उसे किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं हैं। अगर उसे किसी चीज की जरूरत हो तो हमारे भांडार से उसे वह वस्तु उपलब्ध करा दो।

अब परसोती अपना सीना फुला कर चिड़ियाघर चल पड़ा, वह जाकर वह अधिकारी के निजदीक जा बैठा। उसे लगा की वह राजा का खासम खास हैं, तो अधिकारी उससे डरेगा और उसे इज्जत देगा।

पर वह अधिकारी एक महान ईमानदार व्यक्ति था। वह मूर्ख लोगो की संगति नहीं करता था। हाँ थोड़ा गुस्सैल था। जब उसने देखा की एक मुलाज़िम उसके बगल मे बिना पुछे बैठ गया हैं तो उसने परसोती को डांट लगाई। और कहा की तुम मे और गधे मे कितना अंतर हैं? तुम्हें पता नहीं हैं क्या की अधिकारी के सामने कैसे पेश होना चाहिए?

परसोती बड़ा होशियार बनते हुये , अधिकारी को चिढाने की सोचने लगा। और अपने और उसके बीच के दूरी को नापते हुये कहा – की आपके और मेरे बीच का अंतर सिर्फ एक हाथ हैं।

अधिकारी और भड़क गया, क्योंकि परसोती ने घुमाफिरा के अधिकारी को ही गधा कह रहा था। क्योंकि कुछ देर पहले ही अधिकारी ने परसोती से गधे और परसोती के बीच का अंतर पूछ था।

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और परसोती ने अधिकारी को चिढ़ाते हुये उसी प्रश्न का उत्तर दिया की आपके और मेरे बीच मे एक हाथ का अंतर हैं। बस फिर क्या था, अधिकारी ने चाबुक निकाला और परसोती की ले धुनाई कर दी।

परसोती को समझ आ गया की अधिकारी से होशियारी नहीं करनी चाहिए, और उसका सम्मान करना चाहिए।