अमिताभ बच्चन यह कहानी सुनते हुये कहते हैं – “यह कहानी तब की हैं जब मैं अपने करियर के चरम पर था, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था। किसी काम से मुझे कही जाना पड रहा था, मेरे बगल वाली सीट पे एक बहुत साधारण से दिखने वाले एक सज्जन व्यक्ति बैठे थे, जिसने एक साधारण सी शर्ट और पैंट पहन रखी थी। उन्हे देख कर लग रहा था की वह मध्यम वर्ग के थे, और बेहद पढे लिखे मालूम हो रहे थे।
हवाई जहाज मे यात्रा कर रहे अन्य यात्री, मुझे पहचान रहे थे कि मैं कौन हूँ, लेकिन यह सज्जन जो मेरे बगल मे बैठे हुये थे, वें मेरी मौजूदगी के प्रति एकदम से अंजान लग रहे थे। उनके पास एक अखबार था जिसे वह पढ़ रहे थे, और बीच बीच मे खिड़की से बाहर देख रहे थे, और जब चाय परोसी गई, तो उन्होंने इसे चुपचाप पी लिया।
उनके इस तरह के बर्ताव से मैं उनके ओर आकर्षित हो गया था और उनके बारे मे जानना चाहता था। इसलिए मैं उनके साथ बातचीत करने की कोशिश में मैं उन्हें देख कर मुस्कुराया। वह आदमी भी मेरी ओर देख कर बहुत ही विनम्रता से मुस्कुराया और ‘हैलो’ कहा।
इसके बाद हमारी बातचीत शुरू हुई और मैंने सबसे पहले मैं सिनेमा और फिल्मों के विषय को उठाया और उनसे पूछा की “क्या आप फिल्में देखते हैं?”
उस आदमी ने जवाब दिया – ‘ओह, बहुत कम। मैंने बहुत साल पहले, एक फिल्म देखा था। ‘
मैंने उन्हे बताया कि मैं भी बॉलीवुड मे काम करता हूँ और कई फिल्मो मे मैंने काम किया हैं।
उस आदमी ने जवाब दिया .. “ओह, यह तो बहुत ही अच्छा है। आप क्या करते हैं?”
मैंने जवाब दिया, – “मैं फिल्मों मे अभिनेता का किरदार निभाता हूँ।”
यह सुन कर उस आदमी ने सिर हिलाया, ‘ओह, यह अद्भुत है!’ इसके बाद हमारी बातों मे विराम लग गया।
जब हम उतरे, तो मैंने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा, “आपके साथ यात्रा करना अच्छा था। वैसे, मेरा नाम अमिताभ बच्चन है!”
उस आदमी ने हाथ मिलाते हुए मुस्कुराया और कहा – “थैंक्यू … आपसे मिलकर अच्छा लगा। मैं जे आर डी टाटा हूं!”
मैंने उस दिन सीखा कि आप चाहे कितने भी बड़े हो। हमेशा आप से कोई बड़ा होता है।
विनम्र बनो, इसमें कुछ भी खर्च नहीं है।
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