एक नगर मे बहुत धनवान महिला रहती थी, उसका एक ही पुत्र था। किसी बीमारी की वजह से उस महिला के एकलौते बेटे की मृत्यु हो गई थी। महिला अपने बेटे की मृत्यु के बाद बहुत ही दुखी रहने लगी थी।
इस दौरान महिला कई ज्ञानी लोगों के पास सत्संग के लिए जाती और पूछती थी कि मेरे जीवन में खुशिया दोबारा कैसे आ सकती हैं। मैं खुशी पूर्वक अपना जीवन जीना चाहती हूं। लोगो को उसके प्रश्न का सही उत्तर समझ मे नहीं आ रहा था, तो उन्होने उस महिला को स्वामी रामतीर्थ के पास भेजा। नगर मे एक मात्र वही थे, जो हर समस्या का हल जानते थे। हर प्रश्न का उत्तर उनके पास होता था।
धनवान महिला स्वामी रामतीर्थ के पास पहुंची और अपनी समस्या को बताया। स्वामी रामतीर्थ ने महिला की समस्या को सुन कर कहा, ‘इस जगत में हर बात का, हर चीज का एक मूल्य होता है। आपको भी खुशियां प्राप्त कर सकती हैं, लेकिन उन खुशियों के लिए आपको कुछ कीमत देनी होगी। प्रकृति अगर हमे कुछ देती हैं तो हमे भी उसे कुछ बदले मे देना होता हैं।“
महिला ने स्वामी जी से कहा – ‘मेरे पास पैसो की कोई कमी नहीं है। आप जितना धन चाहते हैं, मैं उतना धन देने को तैयार हूं।’
रामतीर्थ ने मुसकुराते हुये कहा, ‘आप अपने जीवन मे खुशियां पाना चाहती हैं, आनंद की दुनिया में उतरना चाहती हैं तो वहां इस धन-संपत्ति का कोई कीमत नहीं है। वहां कुछ अनूठे निर्णय लेने पड़ते हैं।’
महिला ने कहा, ‘आप मेरा मार्गदर्शन करे, मैं भी ऐसे निर्णय ले लूंगी।’
रामतीर्थ ने वहां पास मे खड़े एक अनाथ बच्चे को अपने पास बुलाया और कहा, ‘इस बच्चे को मैं जानता हूं, इसके माता-पिता नहीं हैं। पता नहीं ये बड़ा होकर क्या बनेगा? मैं आपको ये बच्चा सौंपता हूं, आप इसे गोद ले लीजिए और इसका पालन कीजिए।’
महिला ने कहा, ‘ये तो संभव नहीं है।’
रामतीर्थ बोले, ‘तो फिर आपके जीवन में खुशियां आना भी संभव नहीं है। अगर खुशी पाना चाहती हों तो इंसानों की सेवा करें।’
सीख- कोई दुखी, परेशान व्यक्ति दिख जाए तो उसकी मदद जरूर करनी चाहिए। ऐसे दुखी, परेशान लोगों की मदद करने से हमें भी सुख मिल सकता है।
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