इस भाई बहन का प्यार पर आधारित यह कहानी अजीत सर जी ने लिखा हैं।
रेणु अपने कालेज जा रही थी, लेकिन आज उसका मन ठीक नहीं था। लेकिन फिर भी वह मन मार कर कालेज गई। क्यूंकी कालेज मे आज एक बहुत महत्वपूर्ण सेमिनार था। उसके छोटे भाई की तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए उसका मन भाई के तबीयत पर ही टीका हुआ था। रेणु और उसका भाई पवन सतना के एक महाविद्यालय मे पढ़ते थे। यहाँ वो किराए के एक कमरे मे रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे थे। रेणु और पावन की बिलकुल भी नहीं बनती थी, दोनों आपस मे चूहे बिल्ली की तरह लड़ते थे।
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दोनों के मम्मी पापा गाँव मे रहते थे, तथा खेतीबाड़ी का काम करते थे। वो दोनों इन भाई-बहन की लड़ाई से परेशान भी रहते थे और चिंतित भी रहते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनो से पवन की तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए दोनों के बीच लड़ाई का कोई कारण ही नहीं था। पवन बुखार से पीड़ित बिस्तर मे पड़ा रहता था, न ज्यादा बोलता था।
रेणु हमेशा गुस्से मे पवन के मर जाने की कामना किया करती थी। पर यह सब वह गुस्से मे कहा करती थी। रेणु को सब कुछ व्यवस्थित तरीके से चीजे पसंद थी, पवन एक तो घर मे सबसे छोटा और लाड़ला था। तथा लापरवाह भी था, जिसकी वजह से कमरे मे चीजे यहाँ से वहाँ अव्यवस्थित कर दिया करता था, और रेणु की कई काम की चीजे गुमा दिया करता था। जिसकी वजह से दोनों के बीच मे लड़ाई हुआ करती थी।
कई बार रेणु गुस्से मे पवन के लिए बुरा भला बोला करती थी।
एक बार रेणु का पेन नहीं मिला रहा था, जिसके बाद दोनों भाई बहन की जाम कर लड़ाई हुई, बाद मे रेणु गुस्से मे कहती हैं की “भगवान ये मर क्यू नहीं जाता, मेरा जीवन बर्बाद करके बैठा हैं।” गुस्से मे ऐसी बाते वह कई बार बोल दिया करती थी। पवन ये सब सुन कर मुस्कुरा देता और बहन को चिढ़ा कर भाग जाता। भाई बहन का प्यार क्या होता हैं, इन दोनों को नहीं पता था। लेकिन जब से पवन की तबीयत खराब हुई थी, रेणु को लगता था की उसी के अनाप-सनप बोलने की वजह से पवन की तबीयत खराब हुई हैं। इसलिए उसे अपने ऊपर भी बहुत गुस्सा आ रही थी। वह इस समय अपने भाई की पूरी मन से सेवा कर रही थी, जिससे वह ठीक हो जाए। इसके अलावा अब वह भगवान की पुजा भी करने लगी और कालेज के बगल मे हनुमान मंदिर मे जा कर अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती।
मंदिर के पंडित ने बताया की बुधवार के दिन व्रत करने से, जिसके लिए व्रत रखो वह स्वस्थ्य हो जाता हैं। यह सुन कर रेणु ने बुधवार के दिन भी व्रत रहने लगी। पवन को जब पता चला की रेणु इस समय उसके स्वस्थ्य होने के लिए व्रत रहती हैं। तो उसके मन मे अपने बहन के प्रति श्रद्धा बढ़ गई, और उसने भी अपने मनोबल को बढ़ा लिया की वह भी जल्दी ठीक हो जाएगा, जिससे उसकी पेटु बहन को व्रत न रहना पड़े। और धीरे धीरे कुछ ही हफ़्तों मे पवन ठीक हो गया। रेणु बहुत खुश हुई और उसने मन ही मन निश्चय किया था की अगर भाई ठीक हो जाएगा तो वह मैहर मे शारदा माँ के दर्शन करने जाएगी।
कुछ दिन बाद वो दोनों फिर से लड़ रहे हैं। आखिर भारत मे भाई बहन का प्यार का मतलब ही हैं, कभी एक दूसरे से लड़ना तो कभी एक दूसरे की लिए दूसरों से लड़ना तो कभी एक दूसरे के कपड़ो, पेन और बैग के लिए लड़ना।
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यह भाई बहन के प्यार की कहानी हैं, इस पढ़ कर बहुत आनंद आया, मन खुश हो गया हैं, इस bhai bahan ke pyaar की कहानी पढ़ कर, प्लीज और भी कहानी लिखे
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