Chugali ke Prakar: कुछ लोग टाइटल पढ़ कर यह सोच रहे होंगे की यह एक व्यंग होगा, पर ऐसा नहीं हैं। इस लेख के माध्यम से हम एक सिरियस बात करने जा रहे हैं। चुगली करने से भी स्वस्थ्य को फायदा हो सकता हैं, ऐसा सुन कर बहुत से लोगो को ताजूब हो रहा होगा। पर यह एक दम सही हैं, तो आइये मुद्दे पर आते हैं। इस आर्टिकल को पढ़ कर आपको समझ मे आयेगा, अजीत जी ने चुगली करने वाले प्रजातियों का बहुत बारीकी से अध्ययन किया हैं। हालांकि अजीत जी का कहना हैं की इस लेख को लिखने का आइडिया एक ट्रेन मे मिले एक बाबा जी के बातो को सुन कर आया था।
दोस्तो हम चुगली को दो प्रकार की चुगली मे बाँट सकते हैं।
1- बुरी चुगली
2- अच्छी चुगली
बुरी चुगली क्या हैं? (Chugali ke prakar)
इस चुगली से हम सब परिचित हैं। इस चुगली को बुरा माना जाता हैं। इस चुगली मे किसी व्यक्ति की चुगली की जाती हैं, और वो चुगली ऐसी जगह की जाती हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति (जिसकी चुगली की जा रही है) के सम्मान को ढेस पहुँच सकता हैं, उसे बदनाम किया जा सकता हैं, उसकी जीविका खतरे मे पड़ सकती हैं और तो और उसके प्राण भी खतरे मे आ सकते हैं। तो हम समझ गए होंगे की बुरी चुगली किसे कहते हैं। बुरी चुगली के चार प्रकार होते हैं।
1- झूठी चुगली
2- सच्ची चुगली
3- मज़ाक-मज़ाक मे जानबूझकर चुगली
4- मज़ाक-मज़ाक मे धोखे से हो गई चुगली
झूठी चुगली क्या होती हैं? (Chugali ke prakar)
यह बुरी चुगली का अंश हैं, इसमे किसी व्यक्ति को नुकसान पहुचाने के लिए मनगढ़ंत बाते बना कर उसके पीठ-पीछे उसकी चुगली की जाती हैं, इस चुगली का उद्देश्य ही व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना होता हैं, इस चुगली को करने वाले समाज के वो गंदे लोग होते हैं, जिनहे आप कैंसर जैसी बीमारी से तुलना कर सकते हो। अगर कोई व्यक्ति आगे बढ़ रहा हैं तो झूठी चुगली करने वाले दूसरे व्यक्ति से जो लगातार तरक्की कर रहा हैं उसे जलने लगते हैं, और किसी भी हालत मे उसे गिराना चाहते हैं तथा नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। परंतु जब झूठी चुगली करने वालों को किसी व्यक्ति को नीचे गिराने के लिए कोई मौका नहीं मिल पता तो ये फिर झूठ का सहारा लेते हैं।
सच्ची चुगली क्या होती हैं? (Chugali ke prakar)
सच्ची चुगली करने वाले अपने आप को आदर्श पुरुष के रूप मे पेश करते हैं। सच्ची चुगली मे किसी व्यक्ति की चुगली केवल जब ही की जाती हैं, जब वह कोई गलत कार्य करता हैं, और इनकी चुगली करने वाले, इसे समाज, दफ्तर और देश के हित मे की गई चुगली बताते हैं। लेकिन अब लोग इसे पढ़ने के बाद सोचेंगे की इसमे बुराई क्या हैं, तो आइये एक उदाहरण देखते हैं,
किसी आफिस मे अमर और विमल नामके दो कर्मचारी हैं, अमर रोज लेट आता हैं, और विमल कभी कभी लेट आता हैं। अमर जब भी लेट आता हैं तो विमल सोचता हैं की किसी कारण या फिर ट्राफिक की वजह से अमर लेट हो जाता हैं, और अमर के लेट आने की घटना को इग्नोर करके अपने काम मे व्यस्त रहता हैं। लेकिन जब विमल लेट आता तो अमर बिलकुल भी यह नहीं सोचता था, की मैं तो डेली लेट आता हूँ, फिर भी कोई मेरे खिलाफ चुगली नहीं करता, इसके बावजूद अमर तुरंत दफ्तर के बड़े बाबू के पास जाकर विमल की चुगली कर देता, इस चुगली मे अमर कोई झूठी चुगली नहीं करता, यह सच्ची चुगली हैं, लेकिन नुकसान पहुचाने वाली चुगली हैं, इस चुगली को करने के बाद अमर बड़े बाबू को यह जताता की यह चुगली वह दफ्तर के लिए कर रहा हैं।
मज़ाक-मज़ाक मे जानबूझ कर चुगली क्या हैं?
यह चुगली करने का एक ऐसा तरीका होता हैं, जिसमे आपके सामने या फिर आपके पीठ-पीछे मज़ाक करते करते सोच समझ कर आपके खिलाफ चुगली कर दी जाती हैं, इसमे चुगली हो जाने के बाद भी कई बार आपको नहीं पता चलेगा की आपकी चुगली हो गई, या फिर अगर आपको यह लगता हैं की आपके बारे मे मज़ाक मज़ाक मे जो बोला गया था, वो नहीं बोलना चाहिए, लेकिन आपका दोस्त उसे मज़ाक मे जबान फिसल जाने की बात कह कर निकल जाएगा, और आपको विश्वास हो जाएगा की आपके साथी ने आपकी चुगली नहीं की हैं, यह तो धोखे से हो गया हैं। पर ध्यान रहे ये बिलकुल सोची समझी और जानबूझ कर की गई चुगली होती हैं, पर यह चुगली मज़ाक के साथ की जाती हैं, यह बुरी इस लिए हैं, क्योंकि यह भी नुकसान पहुँचाने के लिए की जाती हैं।
मज़ाक-मज़ाक मे धोखे से हो गई चुगली क्या हैं?
यह चुगली नुकसान पहुचाने के लिए नहीं होती हैं, यह मज़ाक मे बोली जाती हैं, और बोलने वाला बिलकुल भी सामने वाले का नुकसान नहीं चाहता हैं, लेकिन मज़ाक मज़ाक मे बात निकल जाती है, और सुनने वाला उसे सुन चुका होता हैं। जिसके वजह से जिसके लिए मज़ाक मज़ाक मे धोखे से हो गई चुगली होती हैं, उसके लिए चुगली सुन चुके लोग अपना एक दृष्टिकोण बना लेते हैं। इस चुगली मे कही बाते सिर्फ मज़ाक होती हैं, लेकिन फिर भी यह मज़ाक इतना भारी हो सकता की किसी की इज्जत, नौकरी और मान सम्मान सब छीन सकता हैं।
स्वास्थ्य को लाभ दिलाने वाली अच्छी चुगली क्या होती हैं?
यह चुगली किसी को नुकसान पहुचाने वाली नहीं होती हैं, इस चुगली का मकसद अपने भारी मन को हल्का करना होता हैं, एक पिता कई बार अपने बेटे को लेकर अपनी बहन से चुगली करता हैं, यहाँ पर पिता अपने बेटे का नुकसान नहीं सोचता हैं, वो तो बस अपनी बहन से अपने दुख को कह कर मन को हल्का कर रहा होता हैं। एक व्यक्ति दफ्तर के माहौल को लेकर अपने किसी बचपन के दोस्त से चुगली करता हैं, इस चुगली का मकसद सिर्फ अपने मन मे दबे उबार को हटाना होता हैं।
कई बार लोग दफ्तरी कार्य मे इतना पीड़ित हो जाते हैं की उनके मन मे किसी व्यक्ति के प्रति ग्लानि की भावना आ जाती हैं, वह शाम को अपने किसी खास दोस्त से दफ्तर के माहौल को लेकर चुगली करता हैं, जिसके बाद उसका मन हल्का लगने लगता हैं, कई लोगो को दफ्तरी माहौल की वजह से हाइपर टेंशन बीमारी हो रही हैं, क्योंकि वो दफ्तरी माहौल को लेकर मन ही मन घुना जा रहा हैं। और जब वह मन ही मन घुलता रहेगा, तो उसे टेंशन बढ़ेगी। टेंशन को हिन्दी मे चिंता कहते हैं और हिन्दी मे कहावत हैं चिंता चिता के समान होती हैं। इस लिए किसी भी क्षेत्र मे अगर आप दुखी हैं तो आप अपने मन मे पल रहे गुबार को जरूर फोड़े, लेकिन उस व्यक्ति के सामने अपने गुबार को फोड़े, जिसका आपके काम से कोई लेना देना ना हो। इससे यह होगा की आप जिसकी बुराई कर रहे हैं, उस पर कोई संकट नहीं आएगा। और मन का गुबार फूट जाने पर आप भी हल्का महसूस करेंगे।
दोस्तो ये आर्टिकल कैसा लगा नीचे कमेन्ट बॉक्स पर जरूर बताए।
डिस्क्लेमर – इस आर्टिकल के स्रोत एक बुजुर्ग बाबा जी हैं, जिनहोने एक ट्रेन यात्रा के समय अपने दफ्तर के अनुभव को साझा किया था।