Gitanjali ki Kahani – भुक्खड़ बीरू

Gitanjali ki Kahani – भुक्खड़ बीरू

मंगलवन मे बंदरो का एक झुंड रहता था, जो पेड़ो मे रहकर अपना गुजर बसर करता था। बंदरो की झुंड मे एक बीरु नाम का बंदर भी रहता था। बीरु सभी बंदरो मे सबसे ज्यादा भुक्खड़ और पेटु बंदर था।

वर्ष 2020 दुनिया का सबसे बेकार साल साबित हो रहा था। हर तरफ भुखमरी, और बीमारी फ़ेल रही थी। खाने की कमी हो रही थी। मंगलवन भी इन कुचक्रों मे फस गया था। वहाँ पर भी खाने की कमी हो गई थी।

बंदरो का सरदार चीकू बंदर था, उसने अपने दल के साथ मिलकर एक योजना बनाई, की कल सुबह-सुबह जंगल के पास रामू नाम के किसान के बगीचे मे धाबा बोलेंगे, और जरूरत के हिसाब से खाना लेकर वापस आ जाएंगे। सभी बंदर चीकू की योजना से सहमत थे।

अगले दिन सभी बंदर योजना के अनुसार रामू किसान के बगीचे मे धाबा बोल दिया, बीरु बंदर भी इस दाल मे था, जहां सभी बंदर खाने को अपने साथ लाये थैले मे डाल रहे थे, वही बीरु बंदर बगीचे एक केले के पेड़ के पास बैठ कर केले खाने लगा, उसने सोचा अगर झोले मे लेकर जाऊंगा तो कल तक को ही खाना होगा, इस लिए पहले दबा कर खा लू, फिर थैले मे भरूँगा, जिससे मेरा खाना परसो तक चलेगा, यह सोच कर वह पेल पेल के केला खाने लगा, तभी उसके पास चीकू बंदर आया और उसे कहा की, बीरु पहले थैले को भर लो, अगर रामू किसान आ गया तो, घर ले जाने के लिए तुम्हारे पास खाना नहीं होगा, और तुम्हारा यहाँ आना व्यर्थ हो जाएगा, और अगर तुम रामू के हांथ लग गए तो तुम्हारी बहुत पिटाई होगी, पर बीरु ने चीकू की बात नहीं मानी और लगातार केले खाता रहा।

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तभी रामू किसान आ गया और उसने एक लाठी लेकर बंदरो को मरने के लिए दौड़ा, सभी बंदर अपना अपना थैला लेकर जंगल की ओर भाग गए, किन्तु बीरु ने तो अभी थैला भरा ही नहीं था, उसने इतना अधिक खा लिया था, की उससे अब पेड़ मे चढ़ा ही नहीं जा रहा था, फिर भी वह दौड़ा, पर दौड़ नहीं पाया और धड़ाम से जमीन मे गिर गया।

रामू किसान ने बीरु बंदर की खूब पिटाई की, बीरु को अपनी गलती का एहसास हो गया।

शिक्षा – कई बार लालच हमे किसी गंभीर संकट मे डाल सकती हैं, इसलिए हमे लालच नहीं करना चाहिए। जितना हमारी जरूरत हो या क्षमता हो उतना ही हमे चीजों का उपभोग करना चाहिए।