एक बार चूहे और मेंढक की भेंट हुई, और देखते ही देखते उनके बीच गहरी मित्रता हो गई। चूहे ने कहा- चलो भाई विदेश चलते हैं, वहां सुख से कमाएंगे और खाएंगे। यहां तो पेट भर खाने के लाले पड़े हुए हैं। बड़ी मुश्किल से तो एक समय का खाना खाने को मिल पाता है।
मेंढक ने चूहे की बात सुनकर जवाब दिया- बात तुम बहुत सही कह रहे हो, चलो तुम्हारी इच्छा है तो विदेश यात्रा कर आते हैं। चलो आज ही चलते हैं परंतु जाने से पहले एक काम करना होगा। हम दोनों एक मजबूत और मोटे धागे से अपनी-अपनी कमर बांध लेते हैं। ऐसा होने से हम दोनों सदा एक साथ रहेंगे। कभी आपस में नहीं बिछड़ेंगे और दुख सुख में एक दूसरे के काम आ सकेंगे।
चूहे को यह सलाह इतनी पसंद आई कि वह फौरन कहीं से एक मोटा और मजबूत धागा ढूंढ लाया। फिर उसने पहले छोर में अपनी कमर बांध ली और दूसरे छोर में मेढक ने अपनी कमर बांध ली।
अब चूहा और मेंढक विदेश जाने के लिए समान बांधकर घर से निकल पड़े। मेंढक फुदकते-फुदकते चल पड़ा और उसने चूहे को कहा कि तुम पीछे पीछे दौड़ते हुए आओ। इस प्रकार दोनों दोस्त एक दूसरे से बंध कर विदेश की ओर चल पड़े। रास्ते में एक नाला पड़ा, उसका गहरा नीला पानी देखकर चूहा घबड़ाकर बोला – अरे रुको-अरे रुको, भाई मेंढक, मैं इस नाले को पार नहीं कर पाऊंगा।
मेंढक एक छलांग मारकर पानी में जा गिरा, उसके साथ चूहा धागे से खिंच कर पानी मे जा गिरा। मेंढक चिढ़ गया, और बिगड़ कर बोला – मरे क्यो जा रहे हो तुम? तैरते-तैरते चले आओ। और अगर तैरना नहीं जानते हो तो मेरी पीठ पर आकर बैठ जाओ। मैं तुम्हें आसानी से यह नाला पार करा दूंगा।
चूहा के पीठ पर बैठ गया, मेढक जब नाला पार कर रहा था, उस समय उसे शैतानी सूझी और और वह पानी के अंदर चला गया, चूहा मेंढक से बंधा हुआ था, कुछ देर बाद वह भी पानी के अंदर खिंचा चला गया। चूहा डूबने लगा था, इसलिए वह अपने को बचाने की कोशिश करने लगा, और मेंढक से मदद के लिए गिड्गिड़ाने लगा- अरे मेढक भाई, मुझ पर दया करो, पानी के ऊपर आ जाओ, नहीं तो मैं डूब कर मर जाऊंगा।
परंतु मेंढक को तो मजा आ रहा था , इसलिए उसने चूहे की चीख-पुकार पर ध्यान नहीं दिया। चूहा बेचारा उसी तरह रो-रोकर कहता रहा- मान जाओ, प्यारे मेंढक भाई, मान जाओ। मित्रता का ख्याल करो, और मेरे प्राणों की रक्षा करो।
चूहे को अब अपने बड़े-बूढ़ो की बात याद आने लगी, की मित्रता हमेशा समान स्वभाव वाले के साथ ही करनी चाहिए, वरना बहुत पछताना पड़ता है।
मेंढक और चूहे की इस खींचतान से पानी में हलचल मची हुई थी, उसी समय आकाश में एक बड़ा चील उड़ रहा था। चूहे को देखकर फौरन उस पर टूट पड़ा। और चूहे को अपने पंजे में फंसा कर आसमान में उड़ गया। मेंढक चूहे की कमर से बड़ा हुआ था, इसलिए चूहे के साथ-साथ मेंढक का भी शिकार चील ने कर लिया।
नाले के बगल में बैठा एक बुजुर्ग मेंढक सब देख रहा था उसने कहा- बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते हैं की मित्रता हमेशा समान स्वभाव वाले के साथ करनी चाहिए, वरना प्राण संकट में आ जाते हैं।
शिक्षा – अगर आप ईमानदार हैं तो बेईमान से दोस्ती ना करे। अगर आप सीधे हैं तो चतुर- चपल से दोस्ती न करे। यह hindi story कैसी लगी जरूर बताए। नीच कमेन्ट जरूर करे