हिन्दी कहानी: राजा सुनार और सोने का बटन

हिन्दी कहानी: राजा, सुनार और सोने का बटन

बहुत समय पहले की बात है, एक राजा अपनी प्रजा की खुशहाली जानने के लिए अपने राज्य के गाँवों में घूमने निकला। वह अपनी प्रजा की स्थिति और समस्याओं को समझने के लिए समय-समय पर अलग-अलग गाँवों में जाया करता था। एक दिन, इसी यात्रा के दौरान, अचानक राजा के कुर्ते का सोने का बटन टूट गया। राजा ने थोड़ी चिंता के साथ अपने मंत्री से कहा, “मंत्री, देखो, मेरा बटन टूट गया है। क्या इस गाँव में कोई सुनार है जो इसे बना सके?”

मंत्री ने कुछ सोचकर जवाब दिया, “महाराज, इस गाँव में एक ही सुनार है जो हर तरह के गहने बनाता है। मैं उसे अभी बुलाता हूँ।”

थोड़ी ही देर में गाँव का सुनार राजा के सामने खड़ा हो गया। सुनार की आँखों में हल्की सी घबराहट थी, पर उसने पूरे सम्मान के साथ राजा को प्रणाम किया।

राजा ने कुर्ते की ओर इशारा करते हुए कहा, “सुनो सुनार, क्या तुम मेरे कुर्ते के सोने के बटन को फिर से बना सकते हो?”

सुनार ने बटन को ध्यान से देखा, फिर आत्मविश्वास से बोला, “हुजूर, यह तो बहुत छोटा सा काम है, मैं इसे आसानी से बना दूंगा।”

सुनार ने कुर्ते के दूसरे बटन को ध्यान से देखा और उसी के आधार पर नया बटन बना दिया। बटन इतना सटीक था कि वह राजा के कुर्ते में बिल्कुल फिट हो गया। राजा अपने कुर्ते को देखकर बहुत खुश हुआ। उसकी खुशी सुनार के काम की कुशलता को देखकर और भी बढ़ गई।

राजा ने मुस्कुराते हुए सुनार से कहा, “तुमने बहुत अच्छा काम किया है। अब बताओ, तुम्हें कितने पैसे दूं?”

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सुनार पहले तो झिझका और फिर बोला, “महाराज, यह तो छोटा सा काम था, रहने दीजिए।”

लेकिन राजा ने दोबारा जोर देकर कहा, “नहीं-नहीं, बताओ कितने दूं? तुम्हें इसका उचित मेहनताना जरूर मिलना चाहिए।”

अब सुनार थोड़ा सोच में पड़ गया। वह मन ही मन विचार करने लगा, “मैं सिर्फ एक बटन बना रहा हूँ, बहुत बड़ा काम तो नहीं है। सोना भी राजा का ही था, मैंने तो सिर्फ मजदूरी की है। राजा से पैसे मांगना शायद ठीक नहीं होगा।” फिर उसने सोचा, “अगर मैं दो रुपये मांग लूं तो ठीक रहेगा, पर कहीं राजा यह न सोचे कि एक बटन बनाने के दो रुपये ले रहा हूँ। राजा तो राजा है, अगर उसने बुरा मान लिया तो गाँव वालों से क्या कहेगा? कहीं कोई सजा न दे दे।”

सुनार के मन में डर बढ़ गया, और वह सोचते-सोचते आखिरकार बोला, “महाराज, जो आपकी इच्छा हो, वही दे दीजिए।”

राजा सुनार की सरलता और विनम्रता से बहुत प्रभावित हुआ। उसने अपने मंत्री से कहा, “मंत्री, इस सुनार को उसकी मेहनत के बदले दो गांव दे दो।”

सुनार को यह सुनकर ऐसा लगा जैसे उसके कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा हो। वह तो सोच रहा था कि राजा उसे दो रुपये देगा, पर राजा ने तो उसकी कड़ी मेहनत और ईमानदारी के बदले उसे दो गांव ही दे दिए! उसकी आँखों में आंसू आ गए और उसने तुरंत राजा को प्रणाम किया।

इस घटना के बाद, सुनार का जीवन पूरी तरह बदल गया। राजा ने न सिर्फ उसकी मेहनत की कद्र की, बल्कि उसकी ईमानदारी और सरलता का भी सम्मान किया।

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कहानी का संदेश : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में मेहनत और ईमानदारी का हमेशा मोल होता है। कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमारी छोटी सी कोशिशों की कद्र नहीं होगी, परंतु जब हम अपने काम को पूरी निष्ठा और सच्चाई से करते हैं, तो ईश्वर और भाग्य हमारे लिए दरवाजे खोलते हैं।

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