लालची बकरे की कहानी
किसी जंगल में एक लालची बकरा रहता था, वह बहुत ही लालची था। पर दूसरों को वह यही दिखाता था की वह बहुत ही संत बकरा हैं, जिसे किसी भी चीज की लालच नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वो बहुत ही लालची था।
एक बार कुछ बकरे एक साथ मिल कर जंगल में नदी किनारे सुखी घाँस खा रहे थे, रात का समय था। उन बकरो में लालची बकरा भी था, तभी एक ने कहा की “यह सुखी घाँस खाने में आनंद नहीं आ रहा हैं, कोई हरी भरी बगियाँ हो तो वहाँ पर कच्ची सब्जियाँ खाने का अलग ही आनंद आएगा।”
तभी दूसरे बकरे ने बताया की वह शाम को ही जंगल के किनारे तक गया हुआ था। तभी वहाँ पर उसने एक किसान का खेत देखा हैं, जिसमें खूब सारी पालक लगी हुई हैं।
तब तीसरे बकरे ने दूसरे बकरे से पूछा की “तुमने पालक का आनंद लिया की नहीं?” तब दूसरे बकरे ने कहाँ की मैं अकेला था, इसलिए अगर मैं खेत में घुसता तो किसान मेरी जम के पिटाई करता, इसलिए मैं लौट आया, अगर तुम लोग साथ में चलो तो फिर किसान हम चारो को एक साथ नहीं मार पाएगा, जब वह एक बकरे के पीछे दौड़ेगा तो बाकी तीनों बकरे पालक का आनंद उठाएंगे। और ऐसा हम बारी बारी से करते रहेंगे।”
पहले बकरे ने कहाँ की “चलो अभी चले।”
लेकिन लालची बकरे ने किसी और बकरे के बोलने से पहले ही बोल पड़ा की नहीं अभी हमें वहाँ नहीं जाना चाहिए, एक दाम सुबह 6-7 बजे के समय में चलेंगे, उस समय रोशनी भी रहती हैं, इसलिए हम भटकेंगे भी नहीं।
दूसरे बकरे ने भी लालची बकरे की बात का समर्थन किया और कहाँ की “कल सुबह सुबह ही चलेंगे, अभी हो सकता हैं की किसान का पालतू कुत्ता भी वहाँ खुला घूम रहा होगा। सुबह किसान उठते ही सबसे पहले अपने कुत्ते को बाँधेगा, इसके बाद हम लोग खेत में घुसेंगे।”
सभी बकरो में तय हो गया की अगली सुबह सुबह किसान के खेत में चलेंगे। और ऐसा तय करके सभी बकरे अपने अपने घर चले आए। लेकिन लालची बकरे का मन अब उसी खेत में लगा हुआ था, उसे लग रहा था की अगर सभी बकरो के साथ वह खेत जाएगा तो वह उतना नहीं खा पाएगा, जितना उसे चाहिए। इसलिए अभी जाना सही होगा। यह सोच कर वह खेत की ओर निकल पड़ा। उसे बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था की अब सारा खेत वह अपनी मर्जी से खाएगा। यह सोचते सोचते वह खेत में घुसा ही था की किसान के कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। कुत्ते को वह छकाने लगा। लेकिन कुत्ते की भौकने की आवाज सुनकर किसान के घर के लोग जाग गए, और किसान और उसका लड़का डंडे लेकर खेत पहुँच गए। रात होने की वजह से और कुत्ते के अचानक हमला करने की वजह से लालची बकरा कुछ समझ ही नहीं पाया और किसान के लड़के के द्वारा पकड़ा गया। उन्होने बकरे की खूब पिटाई की कुत्ते ने भी कई बार बकरे पर जान लेवा हमला किया। किसी तरह से बकरा खेत से भागकर वापस जंगल आया।
जंगल मे बकरे की पिटाई की बात फैल चुकी थी, क्योंकि जब बकरे को किसान और उसका लड़का पीट रहा था, तब जंगल का उल्लू वही पर एक पेड़ मे बैठे हुये ये सारा नजारा देख रहा था। उसने ये बात पूरे जंगल में फैला दी थी। बकरा जहां भी जाता जंगल के दूसरे जानवर उसे देख कर अपनी हंसी नहीं रोक पाते थे। पूरे जंगल मे बकरे की बदनामी हो चुकी थी।
उसे अपने लालच का फल मिल चुका था। उसे एहसास हो गया था की अगर वह बाकी के बकरो के साथ आता तो शायद वह कभी भी किसान के हाथ नहीं लगता और ना ही उसकी इतनी बुरी तरह से पिटाई होती। इसके साथ ही जंगल मे उसकी बदनामी भी नहीं होती।
कहानी को लिखा हैं – अजीत तुलसी ने