भितरी गाँव मे बीरु नाम का एक किसान रहता था। वह बेचारा बहुत गरीब था। निर्धनता से परेशान होकर एक दिन वह भितरी गाँव छोड़कर रीवा की ओर निकल पड़ा। रास्ते मे उसे एक बहुत ही घना जंगल मिला।
उस जंगल मे बीरु को एक हथिनी पीड़ा मे तड़पती मिली। बीरु हथिनी के पास जाकर उसे देखा तो पता चला की हथनी को गंभीर चोट लगी है। चोट देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी शिकारी ने उस पर हमला किया हो। बीरु को उस हथिनी पर दया आ गई। बीरु उस हथिनी कि मदद करना चाहता था पर हथिनी बिल्कुल भी चल फिर नहीं सकती थी।
अगर बीरु उसे तड़पता हुआ छोड़ कर रीवा चाला जाता है तो हथिनी का बच पाना मुस्किल था इसलिए दो मिनट के लिए बीरु पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर गंभीर विचार करता है और निर्णय लेता है कि वह यही रुक कर हथिनी का उपचार करेगा।
बीरु वहीं जंगल मे रुक कर हथिनी का उपचार करने लगा।कुछ दिनों कि सेवा के बाद हथिनी एकदम स्वस्थ हो गई। हथिनी को स्वस्थ देख कर बीरु हथिनी से विदा लेकर रीवा कि ओर चला गया।
रीवा मे कुछ पैसे कमाने के बाद बीरु अपने परिवार से मिलने के लिए वापस अपने गाँव जाने लगा। रास्ते मे उसे फिर वही घना जंगल मिला जहां पिछली बार उसने हथिनी कि मदद की थी। बीरु उस हथिनी के बारे मे सोचने लगा। तभी बीरु के ऊपर एक बाघ ने हमला कर दिया। बीरु उस बाघ से बचने के लिए एक बड़े पेड़ पर चढ़ गया और मदद के लिए ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा। बाघ उसके इंतजार करते हुए वही पेड़ के नीचे बैठ गया। बीरु की आवाज को पहचान कर हथिनी आवाज की ओर दौड़ी।
कुछ ही देर मे हथिनी बीरु के पास पहुच गई। बाघ ने हथिनी को देख कर दहाड़ लगाया। हथिनी ने बाघ को देख कर ज़ोर से चिघाड़ा, हथिनी की चिंघाड़ सुन कर बाघ डर गया, और वहाँ से भाग खड़ा हुआ। बाघ के भाग जाने के बाद बीरु पेड़ से उतरा और हथिनी के गले लग गया। हथिनी ने बीरु को जंगल की सीमा तक सुरक्षित पहुंचाया।
बीरु एक बार फिर हथिनी से गले मिला, और अपनी गाँव की ओर चल दिया, हथिनी भी अपने अन्य साथियो के पास जा मिली।
शिक्षा – अगर आप किसी के बुरे वक्त मे काम आएंगे, तो निश्चित ही आपके बुरे वक्त मे भी कोई ना कोई आपकी सहायता अवश्य करेगा।
कहानी के लेखक हैं – गीतांजली मिश्रा