Introduction of This Hindi Story– This is Hindi story of A school Master and His Boss.
यह किस्सा एक सरकारी स्कूल के मास्टर कह हैं। एक बार उनकी पत्नी किसी कारण से बीमार हो गई इस लिए मास्टर जी ने उन्हे अस्पताल में भर्ती करवा कर उनकी देखभाल करने लगे।
जब मास्टर जी की पत्नी अस्पताल मे भर्ती थी उसी समय मास्टर जी का अचानक तबादले का ऑर्डर हो गया।
सौभाग्य से जिले के शिक्षा विभाग के बड़े साहब उसी मुहल्ले में रहते थे जहां मास्टर जी का घर भी मौजूद था। बड़े साहब का बंगला मास्टर जी के मकान से दिखाई देता था। मास्टर जी जब भी उनके घर के सामने से निकलते थे तो वे बड़े साहब को दुआ-सलाम कर लिया करते थे।
मास्टर जी ने सोचा की साहब से एक बार बात कर लेता हूँ की कुछ दिन के लिए तबादले को रोक दे, जिससे पत्नी के इलाज मे बढ़ा न आए।
यह सोच कर मास्टर जी बड़े साहब के घर गए।
बड़े साहब उस समय अपने घर के बरामदे में बैठे हुये थे, मास्टर जी को आते देख उन्होने
मास्टर जी से आने का कारण पूछ।
मास्टर जी ने कहा – साहब एक निवेदन करना था, इस लिए सोचा आपसे मिल लू।
बड़े साहब बोले – बताइये क्या काम हैं।
मास्टर साहब बोले – साहब, जैसा की आपको पता हैं धर्मपत्नी इस समय अस्पताल मे भर्ती हैं, उनकी देखभाल के लिए समय चाहिए था। वह बहुत बीमार हैं। और मेरा तबादला हो गया हैं।
बड़े साहब बोले – तो मैं क्या कर सकता हूँ?
मास्टर जी बोले – सर, कृपा कर फिलहाल मेरा तबादला निरस्त कर दें।
यह सुन कर बड़े साहब बहुत गुस्सा हो गए। और नाराजगी के साथ बोले – शायद तुम्हें अनुशासन के बारे मे नहीं पता हैं? अगर आपका तबादला हुआ हैं तो आप मुझसे सीधे बात नहीं कर सकते हैं, आपको इसके बारे मे अपने हेडमास्टर से बात करनी चाहिए, आवेदन लिख कर उनसे अनुमोदी करा कर ही आप मुझसे इस विषय पर मिलने आए। मैं तुम्हारे इस अनुसाशन हीनता से काफी खफा हूँ। इस लिए अब आपका तबादला निरस्त नहीं करूंगा। तुम्हें अनुशासन भंग करने के लिये भी सजा मिलेगी ।
बड़े साहब ने मास्टर को काफी डांटा और आगे से ऐसी हरकत न करने की चेतावनी दी।
मज़बूरन मास्टर जी ने दो महीने की छुट्टी ले ली। और अपनी श्रीमती की तबीयत पर ध्यान दिया।
कुछ दिन बाद इतेफाकन से एक शाम बड़े साहब के घर में आग लग गयी। मोहल्ले के सभी लोग उनके घर मे लगी आग को भूझने मे लग गए।
मास्टर जी यह सब अपने घर के बरामदे मे खड़े देखते रहे, लेकिन वो आग बुझाने के लिए नहीं आए। बाद मे आग बुझाने वाली गाड़ी आई और बड़े साहब के घर मे लगी आग को बुझा दिय।
आग तो बुझ गई लेकिन बड़े साहब का बहुत नुकसान हुआ, अगले दिन मास्टर जी दूध लेने के लिए जा रहे थे, बड़े साहब के घर के सामने से जैसे ही गुजरे, तो बड़े साहब ने मास्टर जी को रोक लिया और कहा – मास्टर साहब , कल शाम जब मेरे घर में आग भड़की हुई थी तो तुम अपने घर मे सिर्फ़ खड़े खड़े तमासा देख रहे थे, मदद करने नहीं आये।
मास्टर जी ने बड़े विनम्रता से बड़े साहब से कहा – सर, मैं बहुत ज्यादा मजबूर था। अनुशाशन ने मेरे हाथ बांध रखे थे, हेडमास्टर साहब बाहर गए हैं और जब तक उनकी लिखित अनुमति नहीं मिलती, तो मैं कैसे आग बुझाने आ पाता? आपने ही कहा था की आपसे मिलने के लिए एक निश्चित अनुशाशन प्रक्रिया का पालन करके ही आना हैं।
बड़े साहब का लज्जा से मुह लटक गया।
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