चीकू हर रोज सुबह टहलने के लिए अपने छत पर जाया करता था। सुबह का मौसम बहुत अच्छा होता है। ठंडी हवाओ का चलना, पेड़ों का लहराना और चिड़ियो का चहकना मन को मोहित कर देने वाला होता है।
रोज कि तरह आज भी चीकू छत पर गया, चीकू के छत मे बहुत प्रकार के पक्षी हर रोज आया करते थे। चीकू कि मम्मी हर दिन पक्षियों को दाना डालती थी। दाना खाने के लिए कई प्रजाति के पक्षी आते थे।
चीकू हर पक्षी को धीरे -धीरे पहचानने लगा था। चिड़ियो को दाना चुगते देखना, उसे बहुत अच्छा लगता था। जिस कारण चीकू रोज छत पे जाया करता था। एक दिन चीकू के मन मे एक तोते को देख कर उसे पकड़ने का मन हुआ।
एक दिन चीकू छत मे बैठ कर गणित के प्रश्न हल कर रहा था, तो उसने एक नई चिड़िया देखि, यह एक गौरैया थी। आज शायद वह यहाँ पहली बार आई थी। गौरैया छत मे मौजूद सभी बड़ी चिड़ियो से डर रही थी।
वह दाना चुगने बार -बार जाती और बिना चुगे वापस आ जाती, बार-बार कोशिश करने पर भी वह एक दाना तक नहीं चुग पाई। चीकू यह सब देख रहा था।
उसके मन मे विचार आया कि वह इन सब बाकी चिड़ियो को भगा दे, ताकि गौरैया भी दाना खा सके। जैसे ही वह अपना हाथ उठाने वाला था, चीकू को अपने मम्मी कि कही बात याद आई। मम्मी ने समझाया था कि कभी भी कोई भी जीव जन्तु प्राणी जो भोजन कर रहा हो उस समय उसे परेशान नहीं करना चाहिए।
चीकू अपने हाथ को पीछे कर लिया। अब चीकू ने सोचा की मै इसके लिए अलग से दाना डाला करुगा। अगले दिन चीकू दाना लेकर छत पर गया और दूसरी जगह पर दाना डाल दिया। चीकू खुद भी वही पे बैठ गया, ताकि दूसरी चिड़िया दाना ना खा जाए। चीकू इंतजार करने लगा पर काफी टाइम बीत जाने के बाद भी गौरैया नहीं आई। उसे लगा कि शायद कल गौरैया दाना नहीं चुग पाई थी इसलिए वह आज नहीं आएगी। चीकू उदास हो गया। जैसे ही वह छत से नीचे जाने लगा, उसे गौरैया दिखाई पड़ी चीकू खुश हो गया।
गौरैया धीरे-धीरे दाने के पास गई और भरपेट दाना खाया । अब तो चीकू का यह रोज का काम था। गौरैया भी चीकू को जानने लगी थी, वह कभी चीकू के सिर मे तो कभी कंधे मे उछल कूद करती रहती। एक दिन गौरैया के साथ उसके दो छोटे-छोटे बच्चे भी आए थे। चीकू उन्हे देख कर बहुत खुश हुआ। और यह निर्णय लिया कि चाहे जितनी भी कठिन समस्या हो, वह पक्षियो को दाना डालना नहीं भूलेगा।