एक बस बहुत तेजी से अपने अंतिम पड़ाव की ओर जा रही थी, तभी बहुत तेज आवाज के साथ घरघर करते हुए वह बस बंद हो गई। इसमें धमाके की आवाज भी आई, जिससे लगभग सभी को अंदाजा हो गया था कि बस का टायर शायद फूट गया है। इस दौरान बस के ड्राइवर के माथे में नदी की धार की तरह लगातार पसीना बह रहा था। बस का ड्राइवर घबराया एवं व्याकुल था।
बस के टायर फूटने की बात सुनकर और बस के खड़े हो जाने के बाद, बस यात्रियों का गुस्सा ड्राइवर के ऊपर फूट गया। और बस ड्राइवर को तरह-तरह के ताने और गालियां सुनी पड़ी।
सभी यात्री अपने सीट से उतारकर बस का मुआयना करने लगे, कुछ अभी भी बस ड्राइवर को बुरा भला बोल रहे थे, ड्राइवर ने जेब से रुमाल निकाली और अपना पसीना पूछते हुए, सवारियों को बताया कि बस का ब्रेक फेल हो गया था, बड़ी मुश्किल से भीड़भाड़ वाले इलाके से बस को बचाते हुए यहां सुनसान जगह में बस को रोकने में उसे सफलता मिली। बस ड्राइवर ने बताया यहां रोकना ज्यादा सुरक्षित और सरल था इसलिए बस को यहां पर रोकने का प्रयास किया, और आखिर बस रुक गई।
बस वाले ने भगवान का शुक्रिया किया की यात्री को किसी भी प्रकार की कोई हानि एवं चोट नहीं आया, बस के सिर्फ टायर पंचर हुए थे। यह सुनकर सवारीयों ने ड्राइवर की अब तारीफ करनी चालू कर दी, कुछ ने उसको धन्यवाद दिया। कुछ उसकी गाथाएं पढ़ने लगे।
लेकिन बस को सुधारने में जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों को फिर से बुद्धि विवेक आने लगे, एक ने कहा जैसे ही बस यहां तक लाए थे वैसे ही इसे अंतिम पड़ाव तक ले जाते तो क्या बिगड़ जाता। एक ने कहा जब बस लेकर चले थे तो तुम्हें ब्रेक को चेक कर लेना था।
एक ने कहा तुम लोग सिर्फ पैसे के भूखे हो कमाने के लिए मरे जा रहे हो लेकिन बस की मरम्मत पर ध्यान नहीं देते, अगर बस आज कहीं भीड़ जाती तो हमारा और हमारे घरवालो का क्या होता।
एक ने कहा हमें टिकटों का हिसाब चाहिए, यहां तक का कितना लगा, कितना अभी बचा है, नहीं तो आज तुम्हारी जूतों से पिटाई होगी।
ड्राइवर बेचारा परेशान था, सोचा था कि कैसे स्वार्थी और मूर्ख लोगों को ने बचा लिया, एक तो इनके जीवन की रक्षा की ऊपर से यह मेरे ही दुश्मन बन गए। लेकिन कुछ मूर्ख लोगों की वजह से कोई अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता, क्योंकि सब का हिसाब ऊपर होता है। ऐसा सोच कर ड्राइवर बस की मरम्मत करने लगा।