पहली कहानी – विवेक का महत्व
एक बार देवी लक्ष्मी और माता सरस्वती के बीच सामाजिक चर्चा हो रही थी, लक्ष्मी जी सरस्वती से बोली – “बहन सरस्वती! देखो जो व्यक्ति पढ़ा लिखा है, वह भी मेरे पास आता है और मेरे से धन पाने की अपनी इच्छा को प्रकट करता है और मेरे से धन मांगता है।”
माता सरस्वती ने लक्ष्मी जी की बात सुनकर बोला – “बहन लक्ष्मी! लेकिन इसके साथ यह बात भी एकदम सत्य है कि यदि व्यक्ति बहुत ज्यादा धनी हो लेकिन वह अज्ञानी हो तो वह किसी पशु के तुल्य ही होता है।”
तभी वहां से ब्रह्मा जी गुजर रहे थे और उन्होंने दोनों की बात सुन ली, ब्रह्मा जी ने दोनों को संबोधित करते हुए बोला -“देवियों! आप दोनों ही सही बातें बोल रहे हो। लेकिन आप दोनों द्वारा दिए गए धन और विद्या के साथ विवेक नाम का गुण किसी इंसान में हैं तो उस इंसान का जीवन सफल हो जाता है। ना तो बिना विवेक का अमीर आदमी अच्छा है और नाही बिना विवेक का विद्वान किसी काम का है। ब्रह्मा जी की यह बात सुनकर देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती को विवेक के महत्व के बारे में पता चला। (विवेक का अर्थ – अच्छे बुरे का ज्ञान, समझ)
दूसरी कहानी – शिक्षा का महत्व
एक बार कुछ विद्वान एक महिला संत से मिलने पहुंचे, उन लोगों ने महिला संत से प्रश्न किया – “हम सभी लोग साथ मिलकर कार्य करना चाहते हैं, परंतु हमारे जीवन के लक्ष्य अलग-अलग हैं। हम ऐसा क्या करें कि हमारे लक्ष्य भी पूरे हो जाए और हम साथ में मिलकर काम कर सके।”
तब महिला संत ने उनसे उनके लक्ष्य के बारे में पूछा – “एक ने कहा कि वह समाज को सभ्य बनाना चाहते हैं, दूसरे ने समाज को संपन्न बनाने की कामना राखी, तीसरे ने सामाजिक एकता का लक्ष्य बताया, तो चौथे ने देश को सशक्त राष्ट्र बनाने की इच्छा को जाहिर किया।”
महिला संत ने कहा – “यदि आपके लक्ष्य यह है तो आप शिक्षा के प्रसार का कार्य करें, शिक्षा को बढ़ाने का कार्य करें। क्योंकि शिक्षा व माध्यम है, जिस पर आप सभी का लक्ष्य टिका है। जब लोग शिक्षित होंगे तो उनमें उद्यमिता का विकास होगा, उद्यम करने से व्यक्ति की आमदनी बढ़ेगी, जिससे राष्ट्र आर्थिक रूप से मजबूत होगा, तभी लोगों में एकता भी आएगी और राष्ट्र भी शक्तिशाली होगा। अलग-अलग गुण वाले पौधों में एक ही तरह की सिंचाई की जाती है, लेकिन उन से विभिन्न रंग रूप वाले फूल पैदा होते हैं। उसी प्रकार राष्ट्र के शिक्षित होने पर आप सब के विभिन्न लक्ष्य एक साथ पूरे हो सकेंगे।”
महिला संत की बात उन विद्वानों को समझ में आ गई और उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करने लगे।